प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सीमा पर स्थित उत्तराखण्ड के माणा गांव में आयोजित कार्यक्रम में 3400 करोड़ रूपए से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने माणा गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किये गये स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि माताओं व बहनों ने बहुत अच्छा काम किया है। पैकेजिंग वगैरह में मन प्रसन्न हो गया। प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का दिन बाबा केदार और बाबा बद्रीविशाल के दर्शन करके उनका आर्शीवाद प्राप्त करके जीवन धन्य हो गया है तथा यह पल पल मेरे लिये चिरंजीवी हो गये हैं। उन्होंने कहा कि बाबा के सानिध्य में, बाबा के आदेश से, बाबा के कृपा से पिछले बार जब मैं आया था तो कुछ शब्द मेरे मुंह से निकले थे कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का है। मैं आप सभी को बताना चाहुंगा कि वह शब्द मेरे नही थे, वे शब्द बाबा के आर्शीवाद से मेरे मुख से निकले थे। आज मैं आप सभी के बीच इन नई परियोजनाओं के साथ फिर वही संकल्प दोहराने आया हू।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माणा को भारत के अन्तिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा कि अब तो मेरे लिये भी सीमाओ पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है। पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नजर अंदाज किया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया। लोग माणा आएं , यहां डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयाग किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि माणा गांव से जुड़ी अपनी पुरानी स्मृति बताते हुए कहा कि आज से 25 वर्ष पहले जब वह उत्तराखण्ड में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे एक अनजाने जीवन के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे तो उस समय उनके द्वारा माणा में उत्तराखण्ड भाजपा कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी, तो मेरे कार्यकर्ता नाराज भी हुए थे इतने दूर इतनी मेहनत से जाना पड़ेगा। तब मेरे द्वारा कहा गया कि जिस दिन हमारे दिल में माणा गांव का महत्व पक्का हो जायेगा ना उस दिन उत्तराखण्ड की जनता के दिल में महत्व बन जायेगा। और उसी का परिणाम है, माणा गांव की मिट्टी की ताकत है आप सभी का आशीर्वाद है। माणा की धरती के आशीर्वाद से हमें दुबारा सेवा करने का मौका मिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ है, पहला अपनी विरासत पर गर्व और विकास के लिए हर संभव प्रयास। उत्तराखण्ड इन दोनो ही स्तम्भों को मजबूत कर रहा है। आज मुझे दो रोपवे के शिलान्यास का मौका मिला है। इससे केदारनाथ जी और हेमकुण्ड साहिब के दर्शन करना और आसान हो जायेगा। इन रोपवे से काम करने वाले लोगों पर देश के 130 करोड़ लोगों का आर्शीवाद बरसने वाले हैं। श्रमिकों और एंव इंजिनियरों से बात करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि वे भगवान का काम कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रवासियों से इन काम में लगे मजदूरों का ध्यान रखने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी की मानसिकता ने लोगों को ऐसा जकडा हुआ है कि प्रगति का हर कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। विदेशों में संस्कृति से जुड़े ऐसे कार्यों की तारीफे की जाती थी और भारत में नहीं। गुलामी की मानसिकता ने हमारी पूजनीय आस्था स्थलों को जर्जर स्तर पर ला दिया था। दशकों तक हमारे धार्मिक स्थलों की अवहेलना हुई। आस्था के यह केन्द्र सिर्फ ढ़ांचा नही बल्कि हमारे लिये यह प्राणशक्ति है। वह हमारे लिये ऐसे शक्तिपूंज है जो कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी हमें जीवंत बनाये रखते हैं। आज अयोध्या, काशी, उज्जैन अपने गौरव को पुनः प्राप्त कर रहे है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम को श्रद्धा के साथ आधुनिकता से जोडा जा रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां काली के मंदिर से लेकर देवी विंध्यांचल कोरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। आस्था के इन स्थलों पर पहुंचना, हर श्रद्धालु के लिए सुगम एवं आसान हो गया है। विश्वास है कि देश की नई पीढ़ी के लिए भी यह श्रद्धा का आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। अब हमारे दिव्यांग साथी भी दर्शन कर रहे हैं। गिरनार में जब रोपवे बनाया तो 80 साल के बुजुर्ग भी यात्रा करने लगे, कई लोगों ने मुझे चिटठी भेज कर धन्यवाद दिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास किया
- गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं की आधारशिला रखी
- हर मौसम में सीमा सड़क संपर्क बढ़ाने के लिए दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी
- प्रधानमंत्री का देशवासियों से आह्वान, जहां भी घूमने जाएं अपने यात्रा खर्च का कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें
शिलान्यास की गई परियोजनाऐं
3400 करोड़ रुपये से अधिक की रोपवे और सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किया गया। जिनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं भी शामिल थी। केदारनाथ रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा। यह गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा। हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। इन दोनों रोपवे को लगभग 2430 करोड़ रुपये की संचयी लागत से विकसित किया जाएगा। यह परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन होगा, जो आवागमन को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करेगा। इस अहम बुनियादी ढांचे का विकास धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी और साथ ही साथ रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।
कार्यक्रम के दौरान करीब 1000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया गया। दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक – सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक और कदम साबित होंगी। कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, ये परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी।