🏛️ साल 2019 के चर्चित केस पर आया फैसला — कोर्ट ने उठाए पुलिस जांच पर गंभीर सवाल
देहरादून की पोक्सो (POCSO) कोर्ट ने सोमवार को एक मानसिक रूप से दिव्यांग महिला से कथित सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोनों आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया।
👩⚖️ विशेष न्यायाधीश रजनी शुक्ला ने फैसला सुनाते हुए पुलिस विवेचना को “दूषित और त्रुटिपूर्ण” करार दिया तथा कई गंभीर कमियों की ओर इशारा किया।
📅 घटना की पृष्ठभूमि — मार्च 2019 में मिला था केस का सुराग
मार्च 2019 में सेलाकुई पुल के नीचे एक गर्भवती और मानसिक रूप से कमजोर महिला मिली थी।
सामाजिक कार्यकर्ता पूजा बहुखंडी ने 19 मार्च 2019 को सहसपुर थाने में गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
🧾 FIR में तीन नाम दर्ज थे —
-
एक बाबा,
-
मिस्त्री उर्फ सुरेश मेहता (बिहार निवासी),
-
और शंकर उर्फ साहिब (पीलीभीत, यूपी निवासी)
आरोप था कि महिला का लंबे समय से शोषण हो रहा था और उसके अजन्मे बच्चे का ₹22,000 में सौदा कर दिया गया था।
🔍 कोर्ट ने कहा — विवेचना में भारी लापरवाही, जांच “दूषित” रही
📄 कोर्ट ने अपने 20 पन्नों के फैसले में साफ कहा कि —
“पुलिस जांच में गंभीर खामियां हैं। बाबा को मुख्य गवाह बनाया जा सकता था, मगर पुलिस ने उसे जांच में शामिल ही नहीं किया।”
अदालत ने सवाल उठाया कि यदि महिला वास्तव में मानसिक रूप से विक्षिप्त थी,
तो उससे बच्चे की देखभाल कैसे कराई जा रही थी?
और नारी निकेतन से बाहर आने के बाद वह कहां रही — इसकी कोई जानकारी पुलिस फाइल में नहीं है।
🧠 कोर्ट ने यह भी कहा —
“विवेचक का यह विधिक दायित्व था कि पीड़िता और उसके शिशु की स्थिति पर न्यायालय को स्पष्ट रिपोर्ट दी जाती, जो नहीं की गई।”
🚨 एसएसपी को भेजी गई फैसले की कॉपी — जांच में सुधार के निर्देश
जज रजनी शुक्ला ने एसएसपी देहरादून को आदेश दिया है कि वे इस फैसले की कॉपी का संज्ञान लें
और भविष्य में ऐसी “दूषित विवेचनाओं” पर रोक लगाएं।
साथ ही डीएम देहरादून से यह रिपोर्ट भी मांगी गई है कि पीड़िता और उसके बच्चे की वर्तमान स्थिति क्या है।
🧾 केस से जुड़ी मुख्य बातें:
📍 घटना: मार्च 2019, सेलाकुई पुल के नीचे गर्भवती महिला मिली
📅 FIR दर्ज: 19 मार्च 2019
👮♀️ विवेचक: एसआई लक्ष्मी जोशी
🧾 चार्जशीट दाखिल: 26 जून 2019
👨⚖️ फैसला: 9 नवंबर 2025
⚖️ आरोपित: मिस्त्री उर्फ सुरेश मेहता (बिहार), शंकर उर्फ साहिब (पीलीभीत, यूपी)
📜 फैसला: सबूतों के अभाव में बरी
🧩 कोर्ट टिप्पणी: “जांच दूषित, कानूनी प्रक्रिया अधूरी”
🕰️ छह साल जेल में रहा आरोपी सुरेश
पुलिस ने 30 मार्च 2019 को मिस्त्री उर्फ सुरेश मेहता को गिरफ्तार किया था,
जो फैसला आने तक जेल में ही रहा।
वहीं शंकर उर्फ साहिब को 18 जुलाई 2023 में जमानत मिली थी।
💬 बचाव पक्ष की दलील: “बिना सबूत केस गढ़ा गया”
बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी और रजनीश गुप्ता ने कोर्ट में कहा कि
“पूरे मामले में केवल सुनी-सुनाई बातों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
न तो मेडिकल रिपोर्ट से बलात्कार साबित हुआ, न ही किसी प्रत्यक्षदर्शी का बयान।”


