खबर शेयर करें -

📍 देहरादून | संवाददाता रिपोर्ट

उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के कुछ प्रावधानों में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है।
इस संबंध में राज्य सरकार ने उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है,
जिसमें कहा गया है कि संशोधन मुख्य रूप से लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण से जुड़े नियमों पर केंद्रित होंगे 💍।


Highlights (मुख्य बिंदु):

📜 सरकार ने हाई कोर्ट में 78 पेज का हलफनामा दाखिल किया
🏛️ संशोधन UCC के नियम 380 से संबंधित होंगे
💑 लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन नियमों में आएंगे बदलाव
🆔 आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में अनिवार्य करने का प्रावधान
🕒 अपील की अवधि 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन करने का प्रस्ताव
👮 पुलिस और रजिस्ट्रार के बीच डेटा साझा करने की सीमा तय


⚖️ UCC के तहत नियम 380 में संशोधन की तैयारी 📘

सरकार ने स्पष्ट किया है कि संशोधन मुख्य रूप से
“नियम 380” से जुड़े हैं —
जो बताता है कि किन परिस्थितियों में
लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता।

यह भी पढ़ें -  🔫 कैंची धाम के पास रेस्टोरेंट में चली गोली 😱 | कर्मचारी की मौके पर मौत | पुलिस ने एक्सीडेंटल फायरिंग बताया मामला 🚨

🔍 नियम 380 के अनुसार —

यदि जोड़े में से एक या दोनों पहले से शादीशुदा हैं,
या किसी अन्य रिश्ते में हैं,
या फिर कोई भी व्यक्ति नाबालिग है,
तो ऐसे संबंध को रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता।

सरकार ने कहा कि इन नियमों में अब तकनीकी और प्रक्रियात्मक स्पष्टता लाई जाएगी।


📜 महाधिवक्ता ने कोर्ट में रखा सरकार का पक्ष 🏛️

यह हलफनामा महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर द्वारा
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष
15 अक्टूबर को प्रस्तुत किया गया।

सरकार ने कहा कि संशोधन का उद्देश्य —

लिव-इन पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, संवेदनशील और कानूनी रूप से संतुलित बनाना है।”


🧾 अब आधार नंबर होगा पहचान प्रमाण 📇

राज्य सरकार ने बताया कि
विभिन्न पंजीकरण और घोषणाओं की प्रक्रियाओं में
आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में अनिवार्य किया जाएगा।

हालांकि, जहां किसी आवेदक के पास आधार नहीं है,
वहां वैकल्पिक पहचान दस्तावेजों (जैसे वोटर आईडी या पासपोर्ट) की अनुमति दी जाएगी।

📌 इससे उन मामलों में लचीलापन मिलेगा,
जहां आवेदक प्राथमिक नहीं बल्कि सह-आवेदक (secondary applicant) हों।

यह भी पढ़ें -  ⚖️ उत्तराखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला 💥 | POCSO केस में 20 साल की सजा पाए आरोपी की सजा निलंबित 🚨 | पत्नी की भावनात्मक अपील के बाद कोर्ट का निर्णय ❤️‍🩹

👮 पुलिस और रजिस्ट्रार के बीच डेटा साझा करने के नियम सख्त होंगे 🔒

संशोधित प्रस्ताव में यह भी तय किया गया है कि
रजिस्ट्रार और स्थानीय पुलिस के बीच
डेटा शेयरिंग केवल रिकॉर्ड-कीपिंग उद्देश्यों तक सीमित रहेगी।

यानी पुलिस को लिव-इन मामलों से जुड़ी सूचनाएं
सिर्फ कानूनी दस्तावेजीकरण के लिए दी जाएंगी,
न कि अनावश्यक हस्तक्षेप या निजता के उल्लंघन के लिए।

यह प्रावधान गोपनीयता (Privacy Protection) के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है 🔐।


अपील की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव — 30 दिन से 45 दिन 📆

हलफनामे में कहा गया है कि
यदि किसी जोड़े का लिव-इन पंजीकरण आवेदन रजिस्ट्रार द्वारा अस्वीकृत किया जाता है,
तो आवेदक अब उस फैसले के खिलाफ
45 दिन के भीतर अपील दाखिल कर सकेंगे।

पहले यह अवधि सिर्फ 30 दिन थी।
सरकार ने इसे “न्यायिक पारदर्शिता और अपील के अधिकार की सुरक्षा” के तहत बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है ⚖️।


💬 UCC के तहत लिव-इन नियमों में सुधार का उद्देश्य 🎯

सरकार का कहना है कि यह सुधार —
🔹 समाज में लिव-इन संबंधों के प्रति जागरूकता और कानूनी अनुशासन बढ़ाएंगे।
🔹 महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा को और मज़बूती देंगे।
🔹 और डेटा गोपनीयता के दायरे को संतुलित रखेंगे।

“समान नागरिक संहिता केवल कानून नहीं,
बल्कि समाज में जिम्मेदारी और पारदर्शिता की भावना लाने का प्रयास है।”


🧭 संपादकीय दृष्टिकोण (Editorial View):

उत्तराखंड सरकार का यह कदम
कानूनी पारदर्शिता, निजता की सुरक्षा और महिलाओं के अधिकारों के बीच
एक संतुलित सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
लिव-इन रिलेशनशिप जैसे संवेदनशील मुद्दों पर
प्रशासनिक स्पष्टता कानूनी जटिलताओं को कम करेगी।
यह कदम समाज में “सहमति आधारित संबंधों की कानूनी परिभाषा” को भी मजबूत करेगा 📜।


🧾 संशोधन प्रस्ताव का सारांश (Quick Recap):

🔢 विषय प्रमुख बदलाव
1️⃣ नियम 380 लिव-इन पंजीकरण की अस्वीकृति के मानक स्पष्ट
2️⃣ पहचान प्रमाण आधार अनिवार्य, वैकल्पिक दस्तावेज़ की अनुमति
3️⃣ डेटा साझाकरण केवल रिकॉर्ड-कीपिंग तक सीमित
4️⃣ अपील अवधि 30 दिन से बढ़कर 45 दिन
5️⃣ उद्देश्य पारदर्शिता, गोपनीयता और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना
यह भी पढ़ें -  लालकुआं: सुभाष नगर की अधूरी पाइपलाइन बनी जनजीवन की मुसीबत, जनता का हित न मरने देने का आग्रह
Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

By Editor