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💥 उत्तराखंड में UCC पर बड़ा अपडेट | धामी सरकार का नया फैसला 🔥 | अब लिव-इन रिलेशनशिप पर और सख्त होंगे नियम — अपील की मियाद बढ़ाई जाएगी 📜

📍 देहरादून, संवाददाता:
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के तहत
लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण नियमों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल शपथपत्र के ज़रिए स्पष्ट किया है कि
अब लिव-इन संबंधों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और अधिक सख्त और पारदर्शी बनाया जा रहा है।


📜 हाईकोर्ट में सरकार का शपथपत्र — अब 45 दिन में कर सकेंगे अपील ⏳

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने
78 पेज का शपथपत्र दाखिल किया है।

सरकार ने बताया कि —

“लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े मामलों में अस्वीकृति आदेश मिलने के बाद
आवेदक को अब 30 की बजाय 45 दिन का समय अपील करने के लिए दिया जाएगा।”

यह संशोधन न्यायिक पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

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🔍 अब रजिस्ट्रार मनमानी नहीं कर पाएंगे — केवल कानूनी उल्लंघन पर ही अस्वीकृति ❌

राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि
अब रजिस्ट्रार केवल उन्हीं मामलों में
लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण को अस्वीकार कर पाएंगे,
जहां संबंध कानूनी या धार्मिक प्रथाओं का प्रत्यक्ष उल्लंघन करते हों।

🧾 नए प्रस्ताव में यह भी जोड़ा गया है:

“रजिस्ट्रार अब केवल तभी इनकार करेगा,
जब यह स्पष्ट हो कि रीति-रिवाज और धार्मिक परंपराएँ
पंजीकृत व्यक्तियों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देतीं।”

यानी, कोई भी निर्णय तथ्यों और कानून के दायरे में ही लिया जाएगा,
भावनाओं या सामाजिक दबाव के आधार पर नहीं।


⚖️ यूसीसी की धारा 380 — किन मामलों में नहीं होगा पंजीकरण 📚

संहिता की धारा 380 में स्पष्ट प्रावधान हैं कि
कौन से लिव-इन संबंध पंजीकृत नहीं किए जा सकते।

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🔒 इन स्थितियों में पंजीकरण निषिद्ध रहेगा:

क्रमांक शर्तें जिनमें पंजीकरण नहीं होगा
1️⃣ यदि साथी निषिद्ध स्तर के पारिवारिक संबंध में हैं।
2️⃣ यदि एक या दोनों पहले से विवाहित हैं या किसी अन्य लिव-इन रिलेशन में हैं।
3️⃣ यदि कोई भी व्यक्ति नाबालिग (18 वर्ष से कम आयु का) है।
4️⃣ यदि रिश्ता कानूनी या धार्मिक प्रथाओं का उल्लंघन करता है।

👮 लिव-इन संबंधों की सूचना अब पुलिस के साथ भी साझा होगी 🚔

शपथपत्र में यह भी बताया गया कि
राज्य सरकार पुलिस के साथ सूचना साझा करने की प्रक्रिया को और स्पष्ट करने जा रही है।
यह कदम महिलाओं की सुरक्षा और संवेदनशील मामलों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया जा रहा है।

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💬 UCC के तहत लिव-इन पर धामी सरकार का स्टैंड 🔥

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कह चुके हैं —

“उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता को लागू किया।
अब हम इसे समाज की संवेदनशीलता और कानूनी मजबूती दोनों के साथ
और अधिक व्यावहारिक बना रहे हैं।”

सरकार का कहना है कि
लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े विवादों में
महिलाओं की सुरक्षा, संपत्ति अधिकार और कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।


🧭 संपादकीय दृष्टिकोण (Editorial View):

उत्तराखंड सरकार का यह कदम
“आधुनिकता और परंपरा के संतुलन” की दिशा में एक साहसिक प्रयास है।

💬 “जहां रिश्ते जिम्मेदारी और पारदर्शिता से बंधे हों,
वह समाज अधिक स्थिर और सुरक्षित बनता है।”

यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी रूप से नियंत्रित करना
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक जवाबदेही की दिशा में ऐतिहासिक पहल है।

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By Editor