⚖️ ⚖️ ⚖️उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पति पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर तलाक मांगने वाली महिला की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी तकरार या झगड़े को “क्रूरता” की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता।🚫🚫🚫
📰 हाइलाइट्स ✨
👉 हाईकोर्ट ने महिला की तलाक याचिका खारिज की 🚫
👉 कहा – पति-पत्नी के बीच छोटे झगड़े ‘क्रूरता’ नहीं ⚖️
👉 कानून में ‘क्रूरता’ शब्द की कोई सटीक परिभाषा नहीं 📑
👉 जिला अदालत का आदेश हाईकोर्ट ने बरकरार रखा ✅
👉 फैसला दंपत्तियों के बीच रिश्तों की हकीकत को दर्शाता है 💑
📝 मामला क्या है?
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मूल निवासी: ऊधमसिंह नगर (यूएसनगर) का दंपत्ति।
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शादी: फरवरी 2013 में हुई थी।
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संतान: मई 2016 में महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया।
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स्थिति: पति पिता के पारिवारिक व्यवसाय में मदद करता है, पत्नी प्राइवेट नौकरी करती है।
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आरोप: महिला ने पति पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर तलाक की याचिका दाखिल की।
⚖️ हाईकोर्ट का निर्णय
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खंडपीठ: न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा।
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कोर्ट ने कहा:
👉 पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी लड़ाई या झगड़ा रिश्ते का हिस्सा है।
👉 यह “क्रूरता” की परिभाषा में नहीं आता।
👉 कानून में ‘क्रूरता’ शब्द की स्पष्ट परिभाषा नहीं है। -
निष्कर्ष: महिला यह साबित नहीं कर पाई कि पति ने शारीरिक या मानसिक रूप से क्रूरता की।
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आदेश: जिला अदालत का फैसला बरकरार, तलाक की याचिका खारिज।
🧐 क्यों अहम है यह फैसला?
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यह फैसला स्पष्ट करता है कि हर वैवाहिक विवाद तलाक का आधार नहीं बन सकता।
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कोर्ट ने साफ कहा कि छोटे झगड़े जीवन का सामान्य हिस्सा हैं, इन्हें “क्रूरता” नहीं माना जा सकता।
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तलाक के लिए ठोस और गंभीर आधार जरूरी हैं।
📰 हाइलाइट्स ✨
👉 हाईकोर्ट ने महिला की तलाक याचिका खारिज की 🚫
👉 कहा – पति-पत्नी के बीच छोटे झगड़े ‘क्रूरता’ नहीं ⚖️
👉 कानून में ‘क्रूरता’ शब्द की कोई सटीक परिभाषा नहीं 📑
👉 जिला अदालत का आदेश हाईकोर्ट ने बरकरार रखा ✅
👉 फैसला दंपत्तियों के बीच रिश्तों की हकीकत को दर्शाता है 💑





