📍 देहरादून | स्वास्थ्य संवाददाता रिपोर्ट
देशभर में कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद
उत्तराखंड सरकार अब दवाओं की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है।
राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने इस संबंध में केंद्र सरकार को सिफारिश भेजी है।
अधिकारियों का कहना है कि दवाओं की अनियंत्रित ऑनलाइन बिक्री
जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है और इसे
कानूनी रूप से नियंत्रित करने की जरूरत है।
⚡ Highlights (मुख्य बिंदु):
💊 उत्तराखंड FDA ने केंद्र को भेजी सिफारिश
⚠️ कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद लिया गया बड़ा फैसला
📜 ड्रग एंड कॉस्मेटिक ऐक्ट में संशोधन की प्रक्रिया जारी
📱 ऑनलाइन दवाओं की बिक्री और होम डिलीवरी पर नियंत्रण की मांग
📈 उत्तराखंड में करोड़ों का ऑनलाइन दवा कारोबार
👀 रिकॉर्ड और निगरानी मुश्किल होने से बढ़ी गड़बड़ी की आशंका
🧪 कफ सिरप कांड के बाद कड़ी हुई कार्रवाई 🧫
पिछले कुछ महीनों में देश के कई हिस्सों से
कफ सिरप पीने के बाद बच्चों की मौत की घटनाएं सामने आईं।
इसके बाद केंद्र सरकार ने दवा निर्माण और बिक्री के नियमों में बदलाव की तैयारी शुरू की।
केंद्र ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट (Drugs & Cosmetics Act) में
संशोधन के लिए राज्यों से राय मांगी थी।
इसी के तहत उत्तराखंड के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने
ऑनलाइन दवा बिक्री और होम डिलीवरी पर नियंत्रण या प्रतिबंध की सिफारिश की है।
💬 “रिकॉर्ड रखना मुश्किल, गड़बड़ी की आशंका” — FDA अधिकारी
एफडीए के अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बुधवार को इसकी पुष्टि की।
उन्होंने बताया —
“उत्तराखंड की तरह कई अन्य राज्यों ने भी ऑनलाइन दवा बिक्री पर प्रतिबंध की मांग की है।
यह जरूरी है कि केंद्र सरकार नए कानून में इस व्यवस्था को शामिल करे।”
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर
किसने, कब, कितनी और कौन सी दवा खरीदी — इसका सटीक रिकॉर्ड रखना लगभग असंभव है।
इसी वजह से यह प्रणाली कई बार गड़बड़ी और दुरुपयोग का कारण बनती है।
📊 उत्तराखंड में करोड़ों का ऑनलाइन दवा कारोबार 💰
राज्य में फिलहाल 20,000 से अधिक मेडिकल स्टोर रजिस्टर्ड हैं,
जिनमें से बड़ी संख्या में ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी की सुविधा देते हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन दवा बिक्री को काफी बढ़ावा मिला।
अब यह कारोबार उत्तराखंड में करोड़ों रुपये के स्तर तक पहुंच चुका है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार,
राज्य में बिना वैध डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के दवाएं मंगाने के कई मामले मिले हैं,
जिससे दवाओं के गलत उपयोग और नकली उत्पादों की बिक्री का खतरा बढ़ गया है।
⚕️ क्या कहता है कानून?
वर्तमान में ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 के तहत
दवाओं की बिक्री के लिए लाइसेंस और भौतिक स्टोर आवश्यक है।
लेकिन ऑनलाइन फार्मेसी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ने के साथ
कानूनी नियंत्रण और मॉनिटरिंग को लेकर कई ग्रे एरिया (अस्पष्ट स्थितियां) सामने आई हैं।
इसलिए केंद्र सरकार अब ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक (संशोधन) बिल लाकर
ऑनलाइन बिक्री के लिए स्पष्ट नियम तय करने की दिशा में काम कर रही है।
🧩 संपादकीय दृष्टिकोण (Editorial View):
उत्तराखंड की यह सिफारिश केंद्र की नीति निर्माण प्रक्रिया में
एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
डिजिटल युग में जहां ऑनलाइन फार्मेसी ने सुविधाएं बढ़ाई हैं,
वहीं क्वालिटी कंट्रोल और पब्लिक सेफ्टी के नए खतरे भी सामने आए हैं।
💬 “दवा सुविधा का नहीं, जीवन सुरक्षा का विषय है।”


