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⚖️ “बंधक भूमि से धोखाधड़ी कर मुआवजा हड़पने का मामला — दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज”

📍 हरिद्वार, संवाददाता:
उत्तराखंड में हरिद्वार-काशीपुर राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना से जुड़ा बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है।
आरोप है कि बैंक में बंधक रखी गई भूमि के फर्जी कागजात तैयार कर दो लोगों ने एनएचएआई से लगभग ₹1.50 करोड़ रुपये का मुआवजा हड़प लिया।

इस मामले में मुंबई की एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रतिनिधि की तहरीर पर पुलिस ने एक महिला सहित दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और कपटपूर्ण दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज किया है।


🔍 क्या है पूरा मामला?

मुंबई के दादर वेस्ट स्थित ‘ओंकारा एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ के प्रतिनिधि कल्पेश ओझा ने आईटीआई थाना पुलिस को तहरीर दी।
उन्होंने बताया कि कंपनी ने 26 जुलाई 2023 को ‘मैसर्स श्री श्याम पल्प एंड बोर्ड मिल्स लिमिटेड’ का ऋण खाता ‘आईएफसीआई फैक्टर्स लिमिटेड’ से अधिग्रहीत किया था।

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इस खाते के तहत कंपनी ने ₹15 करोड़ का ऋण लिया था। इसके बदले ग्राम दभौरा एहतमाली (हरिद्वार) स्थित 5.038 हेक्टेयर भूमि गिरवी रखी गई थी, जो अमित गुप्ता और शशि गुप्ता के संयुक्त नाम पर दर्ज है।


🏦 बैंक में दस्तावेज सुरक्षित, फिर भी हड़प लिया मुआवजा 💰

ऋण न चुकाने पर यह खाता एनपीए घोषित किया गया और वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
इसी दौरान कंपनी को पता चला कि बंधक भूमि का कुछ हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा
हरिद्वार-काशीपुर राजमार्ग परियोजना के लिए अधिग्रहीत किया गया है।

आरोप है कि —

अमित गुप्ता और शशि गुप्ता ने बंधक रखी भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार कर मुआवजे की राशि खुद प्राप्त कर ली,
जबकि मूल दस्तावेज अब भी बैंक की सुरक्षा में मौजूद हैं।

बताया गया है कि दोनों को एनएचएआई से करीब ₹1.50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।

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🚨 एफआईआर दर्ज, पुलिस जांच शुरू

आईटीआई थाना प्रभारी कुंदन रौतेला ने बताया कि
कंपनी प्रतिनिधि की तहरीर पर अमित गुप्ता और शशि गुप्ता के खिलाफ
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 418 (धोखे से लाभ प्राप्त करना), 420 (ठगी)
और 423 (कपटपूर्ण दस्तावेज तैयार करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और एनएचएआई, बैंक व राजस्व अभिलेखों की जांच की जा रही है।


🧾 मुख्य बिंदु एक नज़र में:

🔢 विवरण
🏦 बंधक भूमि — 5.038 हेक्टेयर (ग्राम दभौरा एहतमाली)
💰 ऋण राशि — ₹15 करोड़
🏗️ अधिग्रहण एजेंसी — NHAI (हरिद्वार-काशीपुर परियोजना)
💵 हड़पी गई मुआवजा राशि — ₹1.50 करोड़
👥 आरोपी — अमित गुप्ता और शशि गुप्ता
⚖️ धाराएं — IPC 418, 420, 423
🚔 जांच एजेंसी — आईटीआई थाना पुलिस, हरिद्वार
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🧭 संपादकीय दृष्टिकोण (Editorial View):

यह मामला वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
जब भूमि दस्तावेज बैंक की सुरक्षा में थे, तब मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया कैसे पूरी हो गई?
यह बैंकिंग, प्रशासनिक और राजस्व विभागों की समन्वय प्रणाली में खामियों की ओर इशारा करता है।

ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच न केवल धोखाधड़ी पर अंकुश लगाएगी
बल्कि राज्य की वित्तीय पारदर्शिता और संस्थागत जवाबदेही भी मजबूत करेगी।

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By Editor