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📰 “📢 बड़ा फैसला! उत्तराखंड सरकार ने ‘प्रधानाचार्य सीधी भर्ती’ फिलहाल की रद्द ❌ — शिक्षकों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने बदला खेल!”


🔥 मुख्य हाइलाइट्स | Top Highlights

  • ⚖️ उत्तराखंड सरकार ने प्रधानाचार्य सीधी भर्ती पर लगाई रोक

  • 🧾 शिक्षा सचिव ने लोक सेवा आयोग को भेजा पत्र, अधियाचन वापस मांगा

  • ⚠️ टीईटी अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश का असर

  • 🗣️ शिक्षकों के आंदोलन और विरोध ने सरकार को घेरा

  • 📅 1 नवंबर को शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री के आवास घेराव की चेतावनी दी


🏛️ “सरकार ने लिया बड़ा फैसला — प्रधानाचार्य सीधी भर्ती पर फिलहाल रोक”

उत्तराखंड में लंबे समय से चर्चा में रही प्रधानाचार्य सीधी भर्ती प्रक्रिया पर फिलहाल ब्रेक लग गया है।
गुरुवार को शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इस संबंध में लोक सेवा आयोग को भेजा गया अधियाचन वापस मांग लिया है।

सूत्रों के अनुसार, सरकार ने यह फैसला शिक्षकों के व्यापक विरोध और सुप्रीम कोर्ट द्वारा एलटी शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद लिया है।

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🧾 “शिक्षा सचिव ने लिखा आयोग को पत्र — अधियाचन वापस करें”

शिक्षा सचिव ने आयोग को दोबारा भेजे गए पत्र में कहा कि —

“प्रधानाचार्य सीधी भर्ती का विषय वर्तमान में सरकार के विचाराधीन है। अतः आयोग को भेजा गया अधियाचन फिलहाल वापस किया जा रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में सरकार जो भी निर्णय लेगी, उसकी जानकारी लोक सेवा आयोग को दी जाएगी।
इस आदेश के साथ ही लंबे समय से जारी ऊहापोह पर फिलहाल विराम लग गया है।


📚 “क्या है पूरा मामला?”

राज्य के सरकारी इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के 1385 पद लंबे समय से खाली हैं।
इनमें से 692 पदों को वर्ष 2022 में सीधी भर्ती से भरने का निर्णय लिया गया था।

पहले नियम के तहत केवल

  • 🎓 हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक (2 वर्ष की सेवा वाले),

  • 📖 और प्रवक्ता (10 वर्ष की सेवा वाले)
    को पात्र माना गया था।

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इस निर्णय का राजकीय शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया था।
सरकार के खिलाफ शिक्षकों ने आंदोलन और धरना शुरू कर दिया था।


🚫 “शिक्षकों के विरोध के बाद स्थगित हुई परीक्षा”

शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते हुए सरकार ने 29 सितंबर 2024 को लोक सेवा आयोग की चयन परीक्षा स्थगित कर दी थी।
बाद में नियमावली में संशोधन करते हुए एलटी कैडर के शिक्षकों को भी आवेदन का पात्र बना दिया गया,
लेकिन फिर भी विरोध थमा नहीं।

अब भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह रद्द किए जाने से यह मुद्दा राज्य की शिक्षा नीति का बड़ा राजनीतिक विषय बन गया है।


“आंदोलन का ऐलान — इगास पर मंत्री आवास का घेराव!”

भर्ती निरस्त होने के बावजूद, शिक्षकों का विरोध अभी भी जारी है।
1 नवंबर (इगास) के दिन शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के यमुना कॉलोनी स्थित आवास का घेराव करने का एलान किया है।

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अब शिक्षक दो गुटों में बंट गए हैं —

  • एक पक्ष भर्ती का समर्थन कर रहा है,

  • जबकि दूसरा पूर्ण विरोध पर अड़ा हुआ है।


🧩 “सवाल बरकरार — क्या फिर शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया?”

सरकार के इस कदम के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि —
📌 क्या प्रधानाचार्य सीधी भर्ती दोबारा शुरू होगी?
📌 क्या टीईटी अनिवार्यता की नई शर्तों के बाद नियमावली बदलेगी?
📌 और क्या शिक्षक संघ का विरोध थमेगा या और तेज़ होगा?


🏁 “निष्कर्ष — शिक्षा विभाग में फिर मचा असमंजस!”

प्रधानाचार्य भर्ती पर रोक लगने से
राज्य के इंटर कॉलेजों में प्रबंधन संकट गहराता दिख रहा है।
सरकार फिलहाल स्थिति को संभालने और
नए दिशा-निर्देश तय करने में जुटी है।

📍 अब देखना होगा कि आगामी महीनों में
उत्तराखंड सरकार शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता ला पाती है या नहीं।


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By Editor