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हरिद्वार निवासी हवलदार शहीद सोनित कुमार सैनी को यह सम्मान मरणोपरांत मिलेगा। जबकि, हवलदार भूपेंद्र चंद को अदम्य साहस का परिचय देने के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया जाएगा।

उत्तराखंड के दो जांबाज सपूतों को सेना की मध्य कमान की ओर से सेना मेडल से सम्मानित किया जाएगा। हरिद्वार निवासी हवलदार शहीद सोनित कुमार सैनी को यह सम्मान मरणोपरांत मिलेगा। जबकि, कुमाऊं रेजिमेंट के हवलदार भूपेंद्र चंद को अदम्य साहस का परिचय देने के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया जाएगा।

आठ फरवरी को जबलपुर में मध्य कमान के अलंकरण समारोह का आयोजन होगा। सेना के सूत्रों के मुताबिक, मध्य कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी भारतीय सेना के 12 अधिकारियों, सैन्यकर्मियों को वीरता पुरस्कार, 22 विशिष्ट सेवा पुरस्कार और 16 जीओसी-इन-सी यूनिट प्रशंसा के साथ चार सूर्य कमांड ट्रॉफी प्रदान करेंगे।

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अपनी कुर्बानी देकर बचाई थी सात जवानों की जिंदगी

सेना के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि हरिद्वार निवासी हवलदार सोनित कुमार सैनी जम्मू-कश्मीर के पूर्वी सेक्टर में ऑपरेशन चौका के लिए हाई एल्टीट्यूड एरिया में प्लांट इक्विपमेंट प्रोजेक्ट में वाहन चलाते थे। 24 सितंबर 2021 को जेसीबी से लदा वाहन एक अंधे मोड़ की ओर आ रहा था। रास्ते में एक कार भी खड़ी थी। तभी वहां तैनात हवलदार सोनित कुमार सैनी ने देखा कि सात जवानों को लेकर जा रहा एक सैन्य वाहन खड़ी ढलान पर इन दोनों वाहनों के बीच फंस गया। जान की परवाह न करते हुए सोनित ने अपने साथी जवान नायक गुरजंट सिंह के साथ अपना वाहन सेना के दूसरे वाहन से दूर 500 फीट गहरी खाई की ओर मोड़ दिया। उनके इस निर्णय से सातों जवानों की जिंदगी तो बच गई। लेकिन, उनका वाहन गहरी खाई में गिरने से सोनित कुमार सैनी और गुरजंट सिंह शहीद हो गए।

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भूपेंद्र चंद ने नाकाम किया था आतंकी हमला

राष्ट्रीय राइफल्स की 13वीं बटालियन में तैनात कुमाऊं रेजिमेंट के हवलदार भूपेंद्र चंद को भी सेना मेडल से सम्मानित किया जा रहा है। ऊधमसिंह नगर निवासी भूपेंद्र चंद कॉम्बैट एक्शन टीम के साथ 11 अक्तूबर 2021 की रात गांदरबल जिले में ड्यूटी पर थे। सुबह साढ़े चार बजे आतंकवादियों ने खुले में तैनात सैनिकों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं। सेना ने जवाबी फायरिंग की तो आतंकवादी भाग निकले। लेकिन, हवलदार भूपेंद्र चंद ने फायरिंग कर भाग रहे आतंकवादियों का न सिर्फ सामना किया बल्कि अदम्य साहस से हमला विफल कर दिया। इस अदम्य साहस को देखते हुए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया जा रहा है।

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