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सीयूईटी के लिए राज्य में न सिर्फ दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षा केंद्र बनाए गए बल्कि इसके लिए फार्म भरने में स्ववित्तपोषित कालेजों का नाम नहीं दिखाई दे रहा है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के अलावा छात्र-छात्राओं के सामने अन्य कालेजों का कोई विकल्प न दिखने से कई छात्र आवेदन नहीं कर पाए हैं।

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एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध 30 कालेजों में इस साल बीएड की आधी से अधिक सीटें खाली रह सकती हैं। एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डा.सुनील अग्रवाल के मुताबिक पहाड़ के छात्र-छात्राओं के सीयूईटी परीक्षा के लिए केंद्र दूरदराज के क्षेत्रों में बनाए जाने से यह स्थिति बनी है।

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एसोसिएशन के अध्यक्ष के मुताबिक सीयूईटी के लिए राज्य में न सिर्फ दूरदराज के क्षेत्रों में परीक्षा केंद्र बनाए गए बल्कि इसके लिए फार्म भरने में स्ववित्तपोषित कालेजों का नाम नहीं दिखाई दे रहा है। गढ़वाल विश्वविद्यालय के अलावा छात्र-छात्राओं के सामने अन्य कालेजों का कोई विकल्प न दिखने से कई छात्र आवेदन नहीं कर पाए हैं।

उन्होंने कहा स्ववित्त पोषित कॉलेज अपने संसाधनों से चल रहे हैं, सरकार की तरफ से इन कालेजों को कोई अनुदान नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में सीटें खाली रखने से कॉलेजों का संचालन मुश्किल होता है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा विश्वविद्यालय कैंपस में यूजी और पीजी के जो कोर्स चल रहे हैं। सीयूईटी का फार्म भरते हुए छात्र-छात्राओं को केवल उन्हीं विषयों के कोर्स का विकल्प मिला। जबकि स्ववित्त पोषित कॉलेजों में अन्य कोर्स में चल रहे हैं।

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यूजीसी से जारी नहीं हुआ कोई पत्र

देहरादून। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा पिछले सत्र में यूजीसी ने नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को प्रवेश के लिए सीयूईटी की बाध्यता से मुक्त रखा था। वर्तमान सत्र में भी केंद्र सरकार ने 15 मार्च को यूजीसी को पत्र भेजा था कि पिछले सत्र की तरह वर्तमान सत्र में भी नॉर्थ ईस्ट स्टेट्स एवं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को दाखिले के लिए सीयूईटी की बाध्यता से मुक्त रखा जाए, लेकिन इस संबंध में अब तक यूजीसी से कोई पत्र जारी नहीं हुआ। वहीं एचएनबी केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने स्तर से इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पाया है।

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