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रशिका की कहानी विश्व बाक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट निकहत जरीन से कहीं मिलती जुलती है। अंततोगत्वा चार भाई-बहन अलग-अलग विभागों में सरकारी कर्मचारी बने और रशिका खेल अधिकारी बनीं। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रहने वाली रशिका सिद्दीकी नैनीताल की जिला क्रीड़ाधिकारी के बाद पदोन्नति पर सहायक खेल निदेशक बन गईं हैं। आइए जानते हैं इनके संघर्ष की कहानी

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मेरे स्कर्ट पहनने पर आपत्ति जताई गई। मर्दों के साथ प्रैक्टिस करने पर तरह तरह की बातें सुनने को मिलीं। मैं और मेरा परिवार कट्टरवादी विचार धारा से लड़ता हुआ आगे बढ़ा। अंततोगत्वा चार भाई-बहन अलग-अलग विभागों में सरकारी कर्मचारी बने और मैं खेल अधिकारी। यह कहना है प्रदेश की पहली महिला सहायक निदेशक रशिका सिद्दीकी का।

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हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रहने वाली रशिका सिद्दीकी नैनीताल की जिला क्रीड़ाधिकारी के बाद पदोन्नति पर सहायक खेल निदेशक बन गईं हैं। रशिका की कहानी विश्व बाक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडलिस्ट निकहत जरीन से कहीं मिलती जुलती है। फर्क इतना है कि निकहत देश की जानी मानी बाक्सर है और रशिका हाकी में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी के बाद प्रदेश की पहली सहायक खेल निदेशक। निकहत ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उसे समाज शार्ट पहनने पर ताने मारता था।

पांच भाई बहनों में वह सबसे छोटी

रशिका का कहना है कि उनके पिता मो. फरहा सिद्दीकी रेलवे विभाग में थे। शुरुआत में उनका परिवार काठगोदाम में रहा। पांच भाई बहनों में वह सबसे छोटी थी। पिता व मां सिद्दीका खातून ने सभी भाई-बहनों को पढ़ाने व आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब वह घर से अपनी दोस्तों के साथ मिनी स्टेडियम में खेलने आती थी तो रिश्तेदार व समाज के लोग ताने मारते थे कि स्कर्ट पहनती है। इसे हिजाब पहनना चाहिए लेकिन पिता ने उन्हें कभी बंदिश में नहीं रहने दिया।

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यहीं कारण था कि सबसे बड़ी बहन रुकैइय्या मेडिकल सोशल वर्कर, भाई हासिर सिद्दीकी मो. हासिर सिद्दीकी सरकारी कांटेक्टर, भाई एमजी सिद्दीकी रोडवेज में टीआइ व बहन खदीजा डांटा एंट्री आपरेटर और वह 1993 में लखनऊ खेल विभाग की डिप्टी अफिसर बनीं। मंगलवार को रशिका सिद्दीकी प्रदेश की सहायक खेल निदेशक बन गई हैं। अब उसे हर जगह से बधाई मिल रही है।

पटियाला से किया एनआइएस डिप्लोमा

रशिका बताती है कि उनकी पढ़ाई शिक्षा राजकीय इंटर कालेज काठगोदाम से ही हुई। इसके बाद एमबीपीजी से पोस्ट ग्रेजुएट कर वर्ष 1989 में पटियाला से एनआइएस (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स) डिप्लोमा किया। वर्ष 1992 में मुंबई में मेडिकल सोशल वर्कर का काम किया। वर्ष 1993 में डिप्टी खेल अधिकारी बनने के बाद वर्ष 1998 में बनभूलपुरा निवासी कारोबारी मो. शहजाद ने निकाह हुआ। पति का सपोर्ट उन्हें हमेशा मिलता रहा।

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हर बार मिली पहली उपलब्धि

रशिका को हर बार खेल क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिली। वह खेल विभाग में पहली महिला उपक्रीड़ाधिकारी बनीं। इसके बाद पहली महिला जिला क्रीड़ाधिकारी और अब पहली महिला सहायक खेल निदेशक बनी हैं। वह वर्ष 2021 से नैनीताल की जिलाक्रीड़ाधिकारी हैं।

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