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अपने डबल इंजन के बड़े इंजन मोदी सरकार को डिसफॉरेस्ट करने का प्रस्ताव भेजने का काम करे धामी सरकार, डा कैलाश पाण्डेय का दवा वनाधिकार कानून के 75 साल रिकॉर्ड के प्रावधान पर कोई भी संशोधन संसद ही कर सकती है

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राजस्व गांव के मुद्दे को लेकर भाकपा माले ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा देने की प्रक्रिया शुरू करने के नाम पर लालकुआं विधायक द्वारा पेश कथित समाधान का भारतीय संसद द्वारा पारित वनाधिकार कानून से कोई लेना देना नहीं हैं क्योंकि बिंदुखत्ता इस कानून के दायरे में नहीं आता है। लेकिन सत्ताधारी भाजपा बिना किसी आधार के बिंदुखत्ता के मामले को सिर के बल खड़ा कर रही है। वनाधिकार के दावे पेश करने की पूरी प्रक्रिया ही संदेहास्पद है और इसके जरिए भाजपा जनता को चुनाव तक के लिए एक नया झुनझुना पकड़ा रही है। यह बंद होना चाहिए।”

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उन्होंने कहा कि, “भाजपा सरकार और स्थानीय विधायक वनाधिकार कानून 2006 के जरिए राजस्व गांव बनाने के नाम पर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। जबकि वनाधिकार कानून स्पष्ट रूप से 13 दिसंबर 2005 से पहले 75 साल या तीन पीढ़ी से लगातार वन भूमि पर रह रहे वनों पर आश्रित आदिवासी, अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन वासियों पर लागू होता है, और इसके इस बिंदु पर कोई भी संशोधन भारत की संसद ही कर सकती है। इसलिए विधायक और भाजपा सरकार को वनाधिकार कानून पर भ्रम पैदा करना बंद कर वास्तविक राजनैतिक इच्छाशक्ति दिखाते हुए राज्य की विधानसभा से यहां की वन भूमि को डिसफॉरेस्ट करने का प्रस्ताव पारित कर अपने डबल इंजन के बड़े इंजन केन्द्र की मोदी सरकार को भेजने का काम प्राथमिकता से करना चाहिए। तभी बिंदुखत्ता राजस्व गांव का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यही उचित और सही तरीका है।”

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