वरिष्ठ कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र और राज्यों की सरकार अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए बार-बार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की बात कर रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित कानून को समान नागरिक संहिता कहना सही नहीं है क्योंकि इसका दायरा केवल एक राज्य तक सीमित होगा। हरीश रावत ने कहा, ‘‘एक संहिता जिसके लागू होने का दायरा एक राज्य तक सीमित होगा, उसे यूनीफॉर्म कैसे कहा जा सकता है।” उन्होंने कहा कि राज्य की सीमाओं से बाहर यूसीसी का कोई अर्थ ही नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘‘भाजपा यूसीसी का इस्तेमाल महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के नीचे दबी जनता का ध्यान हटाने के लिए कर रही है। न तो केंद्र सरकार ने और न ही उत्तराखंड की धामी सरकार ने कोई विकास कार्य किया है।” वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर कानून बन जाता है तो भी प्रदेश की जनता को इससे कुछ हासिल नहीं होने वाले हैं। उन्होंने इस कवायद में करोड़ों रुपए बर्बाद किए जाने को उचित ठहराए जाने पर भी सवाल उठाए। यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने मसौदे का दस्तावेज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा था। यूसीसी पर विधेयक लाने के लिए 5 फरवरी से राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।