दिल्ली के मोहन गार्डन में 17 साल की एक स्कूली लड़की पर तेजाब डालने के मामले में पुलिस ने खुलासा कर दिया है. इस सिलसिले में एक सिरफिरे आशिक के साथ-साथ कुल तीन लड़कों को गिरफ्तार किया गया. लेकिन इस वारदात को अंजाम देने के लिए इन लड़कों ने जैसी साजिश रची थी, वो पुलिस को भी चौंका रही है. क्या आप यकीन करेंगे कि लड़कों ने हमले से पहले ही खुद को बेगुनाह दिखाने के लिए ऐसी तैयारी की थी, जिससे जांच अधिकारी भी हैरान रह गए. लेकिन सीसीटीवी में कैद उनकी तस्वीरों से उनकी पोल खुल गई और वो पहचान लिए गए. लेकिन अब इस वारदात के पीछे की साजिश की इनसाइड स्टोरी सामने आ गई है,
सीसीटीवी कैमरे में कैद तेजाब कांड
दिल्ली को दहलानेवाली तेजाबी हमले की वारदात की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हैं. जिसमें लड़की के चेहरे पर तेजाब डालनेवाले दो आरोपी वारदात को अंजाम देते हुए साफ-साफ दिखाई दे रहे हैं. वो तस्वीरें ठीक उसी वक्त की हैं, जिस वक्त लड़कों ने इस हमले को अंजाम दिया था. तस्वीरें उसी मोहन गार्डन की गलियों में कैद हुई, जहां वो वारदात को अंजाम देने से पहले मौके की तलाश में घूम रहे थे. कई तस्वीरों में एक दोनों गलियों से गुजरते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि दूसरी फुटेज में गली के एक छोर पर खड़े होकर लडकी के घर से निकल कर रोड़ तक पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं.
तीनों आरोपी बेनकाब
लेकिन अब जबकि इन शैतानों का भांडा फूट चुका है, वो गिरफ्तार किए जा चुके हैं, आरोपी लड़कों की और तस्वीरें भी सीसीटीवी से बाहर आने लगी हैं. पुलिस को मिली एक फुटेज में देखा जा सकता है कि कैसे आरोपी लड़के पूरी तैयारी से लड़की को टार्गेट करने की तैयारी में थे. इनमें जहां बाइक चला रहे आरोपी ने अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था और हुडी पहनी हुई थी, वहीं पीछे बैठे सिरफिरे हमलावर ने हेलमेट पहना था.
दूसरी वारदातों से अलग है इस केस की कहानी
दिल्ली के इन तीन दरिंदों ने एक मासूम लड़की की जिंदगी जीते जी नर्क बना देने की ऐसी भयानक साजिश रची थी, जिसके बारे में सोच कर ही लोग सिहर उठे. लेकिन अब इस वारदात के पीछे की इनसाइड स्टोरी सामने आ गई है. 17 साल की स्कूली लड़की के चेहरे पर तेजाब डाल कर उसे जख्मी करने और हमेशा-हमेशा के लिए लाचार कर देने का इरादा रखनेवाले दरिंदों के चेहरों से पर्दा उठ चुका है. इस वारदात के पीछे भी वही कहानी सामने आई है, जो अमूमन दूसरी तेजाबी वारदातों के पीछे छुपी होती है. लेकिन जो बात इस मामले को दूसरे तमाम मामलों से अलग करती है, वो है इसे अंजाम देने के लिए रची गई साज़िश.
आरोपियों ने खुद को बचाने के लिए की थी प्लानिंग
क्या आप यकीन करेंगे कि दिल्ली के मोहन गार्डन में स्कूल जाती लड़की के चेहरे पर तेजाब फेंकने से पहले इन लड़कों ने खुद को बचाने के लिए पहले ही ऐसी कहानी बुन रखी थी कि अगर सीसीटीवी में उनकी ये तस्वीर कैद नहीं होती तो शायद दिल्ली पुलिस के लिए भी इस मामले को सुलझाना इतना आसान नहीं होता. लेकिन इत्तेफाक से लड़की पर तेजाबी हमला करते इन लड़कों की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई और पीड़ित लड़की के साथ-साथ स्कूल जा रही उसकी छोटी बहन ने उन्हें पहचान लिया.
तेजाबकांड की गहरी साजिश
इस वारदात के पीछे की वजह से पहले इसकी साज़िश की गहराई समझना ज़रूरी हैं. लड़की पर तेजाबी हमला करने के जुर्म में पुलिस ने तीन लड़कों को गिरफ्तार किया है. जिनकी पहचान सचिन, हर्षित और वीरेंद्र के तौर पर हुई है. इनमें सचिन ही वो लड़का है, जो लड़की से दुश्मनी रखता था और जिसने इस हमले की पूरी साज़िश रची थी यानी वही इस हमले का मास्टरमाइंड था. लेकिन तेजाबी हमले के बावजूद वो पुलिस की पकड़ में ना आए, इसके लिए सचिन और उसके बाकी दो दोस्तों ने पूरा दिमाग लड़ाया.
पहचान छुपाने की पूरी तैयारी
सबसे पहले तो सचिन और हर्षित ने मिलकर उस रूट की अच्छी तरह से रेकी की, जिससे दोनों बहनें स्कूल जाया करती थीं. इसके बाद वारदात वाले दिन दोनों पहले से मौके की ताक में उस रास्ते पर लड़की का इंतज़ार करते रहे थे, जैसे ही लड़की अपनी बहन के साथ वहां से गुजरी, सचिन ने उसके चेहरे पर तेजाब डाल दिया. उस वक्त बाइक मुख्य आरोपी सचिन का दोस्त हर्षित चला रहा था. लोगों की नजर से बचने के लिए उन्होंने बाइक की फ्रंट और रियर यानी आगे और पीछे के दोनों नंबर प्लेट हटा दी थीं. ताकि ना तो नंबर दिखाई दे और ना ही उनकी पहचान हो सके. इसके साथ-साथ पहचान छुपाने के लिए ही दोनों ने नकाब और हेलमेट से अपना चेहरा छुपा रखा था.
ऑनलाइन मंगवाया था तेज़ाब
और तो और तेजाब खरीदने में उन्हें कोई दिक्कत ना हो और कोई शक ना करे, इसलिए हमलावरों ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए ऑनलाइन ही तेज़ाब मंगवा लिया था. क्योंकि उन्हें पता था कि अगर बाजार जाकर किसी दुकान से तेजाब खरीदने की कोशिश करेंगे तो वे पहचाने जा सकते हैं. दूसरी बात कि दुकान से तेजाब खरीदना आसान भी नहीं था.
साजिश में दूसरे दोस्त वीरेंद्र का अहम किरदार
लेकिन जो बात सबसे अहम और चौंकानेवाली थी. वो था इस तेजाबी हमले का तीसरा किरदार वीरेंद्र और उसका रोल. असल में सचिन ने सुबह ठीक उसी वक्त जब वो लड़की के चेहरे पर तेजाब डाल रहे थे, उसने अपने दोस्त वीरेंद्र को अपनी स्कूटी और अपना मोबाइल फोन देकर किसी दूसरी जगह पर भेज दिया था. ताकि तफ्तीश में सचिन की स्कूटी और मोबाइल फोन की लोकेशन दोनों मौका-ए-वारदात से दूर नजर आए और कोई उन पर शक भी ना करे, पकड़े जाना तो बहुत दूर की बात है. शुरुआत में हुआ भी कुछ ऐसा ही. पुलिस ने जब हमलावरों की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाई, तो मुख्य आरोपी सचिन के मोबाइल फोन की लोकेशन मौका-ए-वारदात से दूर देख कर पुलिस हैरान रह गई थी.
शातिर आरोपियों का पुख्ता प्लान
लेकिन पीड़ित लड़की की बहन ने आरोपियों को पहले ही पहचान लिया था, इसलिए पुलिस के सामने उनकी चालाकी नहीं चली और वो धर लिए गए. फिर तो पूछताछ में तीनों को अपना जुर्म भी कबूलना ही पड़ा. जब तीनों ने पूरी प्लानिंग और साजिश बताना शुरू की तो मामले की जांच में जुटे पुलिसवाले भी उनका शातिर प्लान सुनकर हैरान रह गए.
ये थी एसिड अटैक की वजह
अब बात करते हैं इस हमले के पीछे की वजह की. तो इस वारदात के पीछे भी एक इकतरफा आशिक के दिमाग का फितूर था. दरअसल, इस साजिश का मास्टरमाइंड सचिन पहले से पीड़िता को जानता था. वो पीड़ित लड़की से बातचीत किया करता था. लेकिन इसके बाद दोनों में कोई अनबन हो गई और करीब महीने भर से उनके बीच बातचीत का सिलसिला बंद हो चुका था. बस इतनी सी बात से सचिन उस लड़की से इतना खार खाये बैठा था कि उसने तेजाब से लड़की के चेहरे को बिगाड़ने और उसे हमेशा-हमेशा के लिए लाचार कर देने की खौफनाक साज़िश रच डाली.
14 दिसंबर 2022, मोहन गार्डन, दिल्ली
वारदात के रोज़ सुबह साढे सात बजे 12वीं में पढने वाली पीड़ित लड़की अपनी छोटी बहन के साथ स्कूल जा रही थी. लेकिन दोनों बहनों के आगे बढते ही सामने से बाइक पर आए एक दो लड़कों ने बड़ी बहन के चेहरे पर अचानक तेजाब फेंक दिया. पीड़ित लड़की दर्द के मारे चिल्लाने लगी. आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए और छोटी बहन ने तुरंत घर लौट कर अपने माता-पिता को पूरी बात बताई, मगर तब तक हमलावर फरार हो चुके थे. बाद में पीड़ित लड़की के घरवालों ने करीब 9 बजे पीसीआर को इस वारदात की खबर दी और तब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. हालांकि पीड़ित लड़की की बहन और चश्मदीदों के बयान के बाद और सीसीटीवी तस्वीरों की मदद से जल्द ही पुलिस ने मामले को सुलझा लिया और तीनों शातिर गुनहगारों को गिरफ्तार कर लिया.
तेजाबी हमले पर क्या कहता है कानून?
अब आपको बताते हैं कि पहले एसिड अटैक को लेकर देश में अलग से कोई कानून नहीं था. यानी ऐसे हमलों पर आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने का केस ही दर्ज होता था. लेकिन बाद में आईपीसी में धारा 326 ए और बी जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया. इसके अलावा उससे जुर्माना वसूल कर पीड़िता की मदद करने का नियम भी बनाया गया. इसी तरह आईपीसी की धारा 326 बी के तहत अगर किसी को तेजाब से हमला करने की कोशिश करने का गुनहगार पाया जाता है, तो भी उसके खिलाफ गैरजमानती मुकदमा दर्ज कर उस पर कार्रवाई किेए जाने का प्रावधान है. हमले की कोशिश करने पर भी कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.
कम नहीं होते एसिड अटैक के मामले
यानी इस लिहाज से देखा जाए, तो कानून काफी सख्त है, लेकिन शायद लोग इतनी आसानी से सुधरनेवाले नहीं हैं. आइए अब आंकडों के जरिए एसिड अटैक के मामलों को समझने की कोशिश करते हैं. देखते हैं कि देश में हर गुजरते साल के साथ एसिड अटैक के मामले बढ़ रहे हैं या कम हो रहे हैं या फिर जस के तस हैं. तो जवाब है कि तमाम सख्ती और कायदे कानून के बावजूद एसिड अटैक के मामले कम नहीं हो रहे हैं. देश में साल 2014 में 203, 2015 में 222, 2016 में 283, 2017 में 252 और 2018 में 228 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए थे. इसी तरह साल 2019 में कुल 249 मामले सामने आए, जबकि 2020 में 182 ऐसे केस रजिस्टर किए गए. यानी एसिड अटैक के मामलों में कोई कमी नहीं आई है.
राज्यों में एसिड अटैक के मामले
अगर राज्यवार आंकडों की बात करें तो एसिड अटैक के मामलों में पश्चिम बंगाल का नंबर पूरे देश में सबसे ऊपर है. यानी ऐसे मामलों में बंगाल सबसे ज्यादा बदनाम है. साल 2021 के आंकडों के मुताबिक देश में 30 वारदातों के साथ पश्चिम बंगाल नंबर एक पर, 18 मामलों के उत्तर पदेश नंबर 2 पर, 8 मामलों के साथ दिल्ली नंबर 3 पर, सात मामलों के साथ असम नंबर 4 पर और 6-6 मामलों के साथ गुजरात और हरियाणा पांचवें नंबर पर हैं. ये आंकडे कहीं ना कहीं इन राज्यों की लचर कानून व्यवस्था की तरफ भी इशारा करते हैं.
9 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने बनाए थे नियम
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक के बढते मामलों को देखते हुए करीब 9 साल पहले तेजाब की खरीद बिक्री को लेकर कुछ नियम बनाए थे. लेकिन सच्चाई यही है कि इनमें से ज्यादातर नियम कागजों पर ही हैं. यानी पुलिस और दूसरी एजेंसियां इन नियमों की रखवाली के मामले में ढीली हैं. इन नियमों के पालन में लोगों का रवैया भी काहिली भरा है.
रखना पड़ता है तेजाब खरीदने-बेचने का रिकॉर्ड
नियम के मुताबिक, 18 साल से कम उम के किसी भी इंसान को तेजाब की बिक्री नहीं की जा सकती. दुकानदार को तेजाब बेचने के लिए ग्राहक का रिकॉर्ड रखना जरूरी है. तेजाब बेचते वक्त खरीददार के आई कार्ड की कॉपी रखना जरूरी है. इसमें उसके घर का पता भी होना चाहिए. ग्राहक से तेजाब खरीदने की वजह पूछना भी जरूरी है. उसे रजिस्टर पर दर्ज करना है. दुकानदार के पास तेजाब का कितना स्टॉक मौजूद है, इस बात की जानकारी भी प्रशासन के पास होनी चाहिए. इसके अलावा जिन अस्पतालों, एडुकेशनल आर्गेनाइजेशन और लैबरोटरीज में तेजाब का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनके लिए इसके इस्तेमाल का लेखा जोखा रखना भी जरूरी है.