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नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार शाम को नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर लागू कर दिया है. इसी के साथ ही अब 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए पड़ोसी देश के अल्पसंख्यक भारत की नागरिकता ले सकेंगे.

अब जानकारी आ रही है कि CAA लागू होने के बाद एंपावर्ड कमेटी बनाई जाएगी. जो हर जिले में काम करेगी और कमेटी ही तय करेगी कि आवेदन करने वाले को नागरिकता देनी है या नहीं.

 

बताया जा रहा है कि सीएए लागू होने के बाद अब एंपावर्ड कमेटी हर जिले में काम करेगी. जिसमें कुछ विशेषज्ञ सदस्य होंगे और इन सदस्यों के सामने नागरिकता लेने के लिए आवेदन करने वाले को खुद उपस्थित होना पड़ेगा. सरकार द्वारा आज जारी किया गए फॉर्म को ऑनलाइन ही भरने का प्रावधान किया गया है.

 

प्रदेश स्तर पर भी बनेगी कमेटी

 

वहीं, प्रदेश स्तर पर डायरेक्ट सेंसस इस प्रक्रिया की अगुवाई करेगा. इस कमेटी में इंटेलिजेंस ब्यूरो के डिप्टी सेक्रेटरी स्टार के अधिकारी भी होंगे, एफआरआरओ के अधिकारी होंगे, स्टेट इंफॉर्मेशन ऑफीसर, राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का पोस्टमास्टर जनरल होगा.

 

राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी एंपावर्ड कमेटी

 

इसी तरह जिले स्तर पर एंपावर्ड कमेटी का गठन होगा जो अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगी. जिला स्तर पर आवेदकों का वेरिफिकेशन किया जाएगा और जिन्हें भारतीयता के निष्ठा के प्रति एक विशिष्ट फॉर्म भरना होगा. जिला स्तर पर जो एंपावर्ड कमेटी बनेगी वो सुनिश्चित करेगी कि आवेदक को भारतीय नागरिकता दी जाए या नहीं. सबसे महत्वपूर्ण बात इस नोटिफिकेशन में यह है कि जिला स्तर पर ही इस एंपावर्ड कमेटी को अधिकार होगा कि आवेदकों को भारतीय नागरिकता दी जाए या नहीं.

 

2019 में सरकार ने किया था कानून में संशोधन

 

साल 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया था. इसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था.नियमों के मुताबिक, नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होगा.