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लालकुआं। धान क्रय केंद्रों में खरीद लक्ष्य लगभग पूरा होने के बाद अब खरीद लिमिट समाप्ति की ओर है, जिससे किसान परेशान और आक्रोशित हैं।

रोज़ाना ट्रैक्टर-ट्रक भरकर केंद्रों का चक्कर लगाने वाले किसान हर जगह से एक ही जवाब सुन रहे हैं — “लिमिट खत्म हो गई है। “केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत इस वर्ष का खरीद लक्ष्य लगभग पूरा हो चुका है,  लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि अधिकांश किसानों की उपज अब तक सरकारी केंद्रों तक नहीं पहुंच सकी है।

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कई किसानों का धान खुले में पड़ा सड़ने की कगार पर है, वहीं पंजीकरण के बावजूद खरीद प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही।किसानों का आरोप है कि क्रय केंद्रों पर न तो खरीद प्रक्रिया पारदर्शी है और न ही पंजीकृत सीरियल नंबर के क्रम का पालन हो रहा है।

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प्रभावशाली लोगों की फसल पहले खरीदी जा चुकी है, जबकि सामान्य किसान महीनों से इंतजार में हैं। इस स्थिति ने किसान वर्ग में गहरी नाराजगी और अविश्वास पैदा कर दिया है।

विभागीय अधिकारी नई खरीद लिमिट स्वीकृत न होने का हवाला देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।

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जनप्रतिनिधि भी केवल आश्वासन देने में सीमित दिखाई दे रहे हैं।
किसान संगठनों का कहना है कि यह स्थिति सरकार की कृषि नीति की नाकामी और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को उजागर करती है।

यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि बड़े किसान आंदोलन का रूप भी ले सकती है।

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