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  1. जीएसटी चोरी के मामले में उत्तराखंड में माल एवं सेवा कर अधिनियम के तहत पहली सजा हुई है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सीजेएम हरिद्वार की कोर्ट ने दोषी व्यापारी सुरेंद्र सिंह को पांच साल के कारावास और एक लाख जुर्माने की सजा सुनाई है। राज्य कर विभाग का दावा है कि जीएसटी चोरी में अदालत से दोषी को सजा होने का देश में पहला मामला है।

राज्य कर विभाग की सीआईयू टीम ने अप्रैल 2022 में हरिद्वार जिले के ज्वालापुर निवासी सुरेंद्र सिंह की छह फर्मों पर कार्रवाई की थी। जांच में विभाग ने पाया कि आरोपी ने फर्जी बिल कर आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया था।

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इसमें लगभग 17 करोड़ का फर्जी क्लेम लिया। मामले में सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया था। शनिवार को सीजेएम हरिद्वार मुकेश चंद आर्य की कोर्ट ने सुरेंद्र सिंह को दोषी करार सजा सुनाई है। जुर्माना जमा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

विभाग की जांच में पाया गया कि सुरेंद्र सिंह ने जीएसटी पंजीकरण में मुख्य व्यापार मैनपावर सप्लाई का दिखाया, लेकिन दिल्ली व हरियाणा की फर्मों से आयरन, फ्लाईवुड, फर्नीचर की फर्जी खरीद दिखाकर आईटीसी का क्लेम लिया जा रहा था। फर्जी बिलों में जिन फर्मों से खरीद दिखाई गई वे दिल्ली व हरियाणा में नहीं थीं। आरोपी को राजेश डूडानी फर्जी बिल बनाकर देता था। माल खरीद किए बिना ही फर्जी बिलों से आईटीसी का लाभ लिया जा रहा था।

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जीएसटी चोरी मामले की जांच कर रहे डिप्टी कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह चौहान, विनय पांडेय ने पाया कि आरोपी ने ई-वे बिल में माल ढुलाई के लिए जिन वाहनों को दर्शाया है, वे दोपहिया वाहन निकले। साथ ही किसी भी वाहन ने टोल प्लाजा क्रॉस ही नहीं किया गया। ई-वे बिल बनाने के लिए एक ही मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया।

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आरोपी सुरेंद्र सिंह ने छह अलग-अलग फर्मों को जीएसटी में पंजीकृत किया था। इसमें मैसर्स पीएस इंटरप्राइजेज, एसएसएस इंटरप्राइजेज, सुरीत मेटल, पीएसडी पैकेजिंग, एसएसएस इंटरप्राइजेज, दीपक इंटरप्राइजेज शामिल हैं। विभाग की जांच में मौके पर मैसर्स पीएस इंटरप्राइजेज के अलावा अन्य कोई फर्मे नहीं चल रही थी।