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हाई कोर्ट ने रानीबाग-नैनीताल रोपवे प्रोजेक्ट पर रोक लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट में प्रो. अजय रावत बनाम राज्य सरकार से संबंधित आदेश के बिंदुओं का ध्यान रखने को कहा है।

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हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी रानीबाग-नैनीताल रोपवे प्रोजेक्ट पर रोक लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर रोपवे का निर्माण करने, बलियानाला की भूगर्भीय परिस्थितियों का ध्यान में रखते हुए सुरक्षित रोपवे बनाने के आदेश पारित किए हैं।

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कोर्ट ने इस मामले में 1995 में सुप्रीम कोर्ट में प्रो. अजय रावत बनाम राज्य सरकार से संबंधित आदेश के बिंदुओं का ध्यान रखने को कहा है। इस मामले में प्रोजेक्ट निर्माण संस्था नेशनल हाईवे अथारिटी ने कोर्ट को बताया कि नैनीताल-रानीबाग रोपवे की डीपीआर बनाई जा रही है। इसी वित्तीय वर्ष में रोपवे के लिए बजट प्रविधान होगा। यह प्रोजेक्ट प्राथमिकता के आधार पर बनाया जाएगा।

गुरुवार को नैनीताल में पर्यटन सीजन में यातायात से संबंधित परेशानियों का स्वत: संज्ञान लेती जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की रोपवे प्रोजेक्ट के विरोध में दायर पीआइएल पर भी सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट को बताया कि आइआइटी रुड़की ने रोपवे को लेकर रिपोर्ट दी है, जिसमें रोपवे बनाने की संस्तुति की है। नएचआइ की ओर से प्रारंभिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया गया है। टेंडर फाइनल स्टेज पर है। अक्टूबर तक इसकी सर्वे रिपोर्ट आ जाएगी। प्रोजेक्ट में भूगर्भीय व वैज्ञानिक पहलुओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। नैनीताल में पर्यटन के साथ ही पर्यावरण की दृष्टिकोण से यह प्रोजेक्ट बेहद जरूरी है।

मुख्य सचिव एसएस संधू ने 11 मई को नैनीताल दौरे के दौरान साफ कहा था कि रोपवे प्रोजेक्ट को तीन साल के भीतर धरातल पर उतार दिया जाएगा। पुरानी डीपीआर के अनुसार रोपवे की लंबाई करीब 12 किलोमीटर लंबाई है।यह थी याचिकाप्रो. रावत ने जनहित याचिका में कहा था कि उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार की ओर से रानीबाग से नैनीताल के लिए रोपवे का निर्माण प्रस्तावित किया गया है।

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रोपवे के लिए निहाल नाले और बलिया नाले के मध्य मनोरा पीक पर निर्माण कार्य होना है, दोनों नाले भूगर्भीय रिपोर्ट के आधार पर अतिसंवेदन शील क्षेत्र है। लिहाजा यहां किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता। पूर्व में भी हाईकोर्ट ने हनुमानगढ़ी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी।

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