उत्तरकाशी के वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप का शरीर 28 सितंबर को एक नदी से मिला, जो करीब दस दिन पहले 18 सितंबर को गायब हुए थे। राजीव प्रताप “दिल्ली उत्तराखंड लाइव” नामक यूट्यूब चैनल चलाते थे और भ्रष्टाचार पर अपनी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे।उनकी गाड़ी 19 सितंबर को भागीरथी नदी के किनारे मिली थी, जिसके बाद से वे लापता थे। पुलिस ने शुरू में कार दुर्घटना को मौत का कारण बताया, लेकिन उनकी पत्नी और परिवार ने हत्या की आशंका जताई है। पत्नी का कहना है कि राजीव को अस्पताल और स्कूलों की खराब स्थिति उजागर करने के बाद कई धमकियां मिली थीं और वे डर के माहौल में थे।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर दुःख प्रकट किया है और जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही कई मीडिया संगठन और पत्रकार संघ भी इस मामले में पारदर्शी जांच की मांग कर रहे हैं।भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) ने भी इस घटना को “रहस्यमय परिस्थितियों” में हुई मौत करार दिया है और पुलिस से निष्पक्षता के साथ जांच करने की अपील की है। पत्रकारों के प्रति बढ़ती सुरक्षा की चिंता इस घटना से और बढ़ गई है।राजीव प्रताप की मौत ने प्रेस स्वतंत्रता और पत्रकार सुरक्षा के मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है, जिसमें कार्रवाई और जवाबदेही की मांग जोर पकड़ी है।