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उत्तराखंड के बनभूलपुरा जैसी डेमोग्राफी यहां से करीब दो किमी दूर भी बन रही है। गौलापार में सरकारी व निजी जमीन पर बनभूलपुरा जैसी बसावट हो रही है। ग्राम देवला तल्ला में निजी जमीन पर अवैध कालोनी काटकर घर बन चुके हैं।

यहां का पंत फार्म अब अंसारी कालोनी बन चुका है।

विकास प्राधिकरण के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। वहीं खेती के लिए दी गई वन भूमि पर सैकड़ों मुस्लिमों के बसने क्रम जारी है। डेमोग्राफिक चेंज की आहट से सकते में आई सरकार को फिलहाल यहां निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। हल्द्वानी के देवला तल्ला गांव में एक व्यक्ति ने वर्ष 2018 के बाद से अवैध प्लॉटिंग शुरू की। अब तक करीब 300 से अधिक प्लाट काटे जा चुके हैं और 10 से अधिक मकान बनकर तैयार हैं।

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गौलापार निवासी आरटीआइ एक्टिविस्ट रविशंकर जोशी ने क्षेत्र में डेमोग्राफिक बदलाव को देखते हुए विकास प्राधिकरण से जानकारी मांगी। इसमें पता चला कि वर्ष 2022 में इस जमीन पर 111 रजिस्ट्री हुईं।

इसमें 109 मुस्लिम व्यक्तियों के नाम पर हैं। इनमें से 49 मुस्लिमों ने पहली बार उत्तराखंड में जमीन खरीदी है। तब रविशंकर जोशी की शिकायत पर प्राधिकरण न्यायालय ने अगस्त 2023 में बिना नक्शा पास कराए जमीन पर प्लॉटिंग करने व ब्रिकी रोकने, दाखिल-खारिज रद करने व 15 दिन के भीतर भवनों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे।

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मगर छह माह बाद भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हुई है। अब बात करते हैं अंसारी कालोनी की। यह कालोनी कभी पंत फार्म के नाम से जानी जाती थी। वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार वर्ष 1978 में सरकार ने 64 लोगों को 62 हेक्टेयर जमीन 90 साल की लीज पर खेती के लिए दी थी। इस लीज का नवीनीकरण 30-30 साल में होना था।

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मगर वर्ष 2008 के बाद लीज का नवीनीकरण ही नहीं हुआ है। महत्वपूर्ण यह भी है कि इस जमीन पर भवन बनाने की अनुमति किसी को नहीं थी, लेकिन यहां पर 150 से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों ने घर बना लिए हैं।

गौलापार में वन भूमि पर हुए निर्माण को चिह्नित किया जा रहा है। इसके बाद नोटिस भेजने की कार्रवाई की जाएगी। वहीं नए निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई की तिथि इसी माह तय होगी।

हिमांशु बांगरी, डीएफओ तराई पूर्वी

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