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खंडपीठ ने उठाए ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर गंभीर सवाल, पांच गायब सदस्यों को नोटिस न भेजने पर जताई नाराज़गी

नैनीताल, 27 अगस्त। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनावों में हुई कथित गड़बड़ियों को लेकर चुनाव आयोग से कठोर सवाल पूछे हैं।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आयोग को आगामी सोमवार, 1 सितम्बर तक शपथपत्र दाखिल कर अपनी कार्रवाई और भूमिका स्पष्ट करने को कहा है।

ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर सवाल

चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता संजय भट्ट ने अदालत को बताया कि ऑब्जर्वर की दो रिपोर्टें दाखिल की गई हैं, जिनमें कहा गया है कि चुनाव स्थल के 100 मीटर क्षेत्र में कोई गड़बड़ी नहीं हुई।
हालांकि खंडपीठ ने इस दावे पर कड़ा रुख अपनाते हुए सवाल किया कि 100 मीटर की सीमा किस नियम के तहत तय की गई, जबकि नियमों के अनुसार मतदान स्थल से 500 मीटर के दायरे तक भीड़ नहीं होनी चाहिए।

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जिला प्रशासन की भूमिका

सुनवाई के दौरान डीएम नैनीताल वंदना सिंह वर्चुअली अदालत के समक्ष उपस्थित रहीं। अदालत को बताया गया कि उन्होंने याची पुष्पा नेगी की शिकायत पर एसएसपी रिपोर्ट के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी थी।

न्यायालय के निर्देश

  • चुनाव आयोग को सोमवार तक शपथपत्र दाखिल कर पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट करनी होगी।

  • अदालत ने पूछा कि पांच गायब जिला पंचायत सदस्यों को नोटिस क्यों नहीं भेजे गए और उनकी अनुपस्थिति को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया।

  • खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ए.आर.ओ. की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें केवल पुनर्गणना का अधिकार है, पुनर्मतदान का नहीं।

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याचिकाकर्ता की मांग

वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र पाटनी ने न्यायालय से अपील की कि चुनाव को निरस्त कर पुनः मतदान कराया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान अपहरण जैसे गंभीर आरोपों पर एफआईआर दर्ज हुई हैं और नियमों का उल्लंघन भी हुआ है।

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अध्यक्ष पक्ष का तर्क

नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष दीपा दर्मवाल के अधिवक्ता पंकज कुल्हारा ने न्यायालय को बताया कि संविधान के अनुसार चुनाव आयोग किसी भी सदस्य को ज़बरदस्ती मतदान के लिए बाध्य नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि इस मामले में तो पांचों अनुपस्थित सदस्य खुद पीड़ित हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि इस स्थिति में पुनर्मतदान संभव नहीं है।

अब सबकी नज़र चुनाव आयोग पर

अब पूरे मामले में आने वाले सोमवार, 1 सितम्बर को चुनाव आयोग के शपथपत्र का इंतजार किया जा रहा है, जिसमें उसे अपनी भूमिका और आगे की कार्रवाई स्पष्ट करनी होगी।

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