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शासन ने 23 दिसंबर को एक आदेश जारी करते हुए आयुर्वेद विश्वविद्यालय में संबद्ध आयुष चिकित्साधिकारियों को तत्काल अपने मूल तैनाती स्थल पर जाने के लिए कहा था। इसके आधार पर 19 चिकित्साधिकारी विवि से जा चुके हैं। विवि के प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार सहित एक अन्य चिकित्साधिकारी ने अभी ज्वाइन नहीं किया।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति ने शासन से इन्कार के बाद अब सीएम को पत्र भेजकर संबद्धता को बरकरार रखने की मांग की है। उनका कहना है कि संबद्धता खत्म कर दी तो विवि की मान्यता खतरे में आ जाएगी।उधर, मान्यता को बरकरार रखने के मद्देनजर आयुर्वेद विवि भी हाईकोर्ट पहुंच गया है, जिस पर 12 जनवरी को सुनवाई होगी।

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दरअसल, शासन ने 23 दिसंबर को एक आदेश जारी करते हुए आयुर्वेद विश्वविद्यालय में संबद्ध आयुष चिकित्साधिकारियों को तत्काल अपने मूल तैनाती स्थल पर जाने के लिए कहा था। इसके आधार पर 19 चिकित्साधिकारी विवि से जा चुके हैं। विवि के प्रभारी कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार सहित एक अन्य चिकित्साधिकारी ने अभी ज्वाइन नहीं किया।

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कुलपति प्रो. सुनील जोशी ने सीएम को भेजे पत्र में कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) की ओर से विवि को सशर्त मान्यता दी गई है। छात्रों का अध्यापन कार्य भी चल रहा है। चिकित्साधिकारियों के न होने से मान्यता खतरे में आ जाएगी। विवि ने परिसरों की सशर्त मान्यता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर 12 जनवरी को सुनवाई होनी है। लिहाजा, फिलहाल चिकित्साधिकारियों की संबद्धता बरकरार रखी जाए।

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