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प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में तय हुआ कि पर्वतीय क्षेत्रों के सभी शहरों की धारण क्षमता का वैज्ञानिक व तकनीकी सर्वे कराया जाएगा। आपदा प्रबंधन विभाग को सर्वे कराने का दायित्व सौंपा गया है। इसके लिए शहरी विकास, पंचायती राज समेत अन्य विभाग का सहयोग लिया जाएगा।

जोशीमठ आपदा से सबक लेते हुए प्रदेश मंत्रिमंडल ने सभी पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) का सर्वे कराने का फैसला किया है। पहले चरण में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत क्षेत्रों में सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है। आबादी और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों से पर्वतीय शहरों में धारण क्षमता से अधिक दबाव बढ़ रहा है।

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जोशीमठ भू धंसाव के पीछे एक वजह शहर की भार वहन क्षमता से अधिक निर्माण को भी ठहराया जा रहा है। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई। बैठक में तय हुआ कि पर्वतीय क्षेत्रों के सभी शहरों की धारण क्षमता का वैज्ञानिक व तकनीकी सर्वे कराया जाएगा। आपदा प्रबंधन विभाग को सर्वे कराने का दायित्व सौंपा गया है। इसके लिए शहरी विकास, पंचायती राज समेत अन्य विभाग का सहयोग लिया जाएगा। सर्वे के लिए तकनीकी एजेंसियों का चयन किया जाएगा।

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इन पर्वतीय शहरों पर बढ़ रहा है लगातार दबाव
राज्य के प्रमुख पर्वतीय शहरों में मसूरी, नैनीताल, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, उत्तरकाशी, ऊखीमठ, नई टिहरी, गुप्तकाशी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रानीखेत पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। पहले चरण में सरकार इन पर्वतीय शहरों का सर्वे करा सकती है।

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अधिक दबाव वाले शहरों में निर्माण पर लगेगी रोक : सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक जिन शहरों की भार वहन क्षमता अधिक पाई जाएगी। उनमें निर्माण पर रोक लगाई जाएगी। जोशीमठ आपदा निश्चित तौर पर हमें भविष्य के लिए सचेत कर रही है। पर्वतीय शहरों की धारण क्षमता यानी भार वहन क्षमता देखने की जरूरत है।