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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को राम मंदिर पर बात की. उन्होंने बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अपनी तय समय सीमा से पहले बनकर तैयार हो जाएगा. मंदिर का निर्माण तेज गति के साथ चल रहा है. इस साल अक्टूबर तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण कार्य रफ्तार से चल रहा है. श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अनुसार मंदिर निर्माण का काम 60 प्रतिशत से अधिक हो गया है. जनवरी 2024 में मकर संक्रांति के अवसर पर मंदिर के गर्भ गृह में भगवान राम के बालस्वरूप प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा दी जाएगी. इसके बाद श्रद्धालु विश्व के सबसे दिव्य और भव्य राम मंदिर में रामलला के दर्शन कर सकेंगे.

समय सीमा से पहले बनकर तैयार होगा राम मंदिर

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने शुक्रवार को बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अपनी तय समय सीमा से पहले बनकर तैयार हो जाएगा. मंदिर का निर्माण तेज गति के साथ चल रहा है. इस साल अक्टूबर तक मंदिर के प्रथम तल का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.

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2024 मकरसंक्रांति तक भगवान रामलला की मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी. उन्होंने कहा कि अभी-तक के तैयारी के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा का काम 1 जनवरी से 14 जनवरी 2024 के बीच करने की योजना है. मंदिर का काम 3 फेज में होना है. पहले फेज का काम दिसंबर 2023 में पूरा हो जाएगा. इसमें गर्भगृह भी शामिल है.

बाल स्वरूप में विराजमान होंगे भगवान

चंपत राय ने आगे बताया कि गर्भगृह में विराजमान होने वाले भगवान श्रीराम की मूर्ति 5 से 7 साल के बालक स्वरूप में होगी. मूर्ति में उंगलियां कैसी हो, चेहरा कैसा हो और आंखें कैसी हो, इसके लिए देश के बड़े-बड़े मूर्तिकार मंथन करने में जुटे हैं. मूर्ति के लिए ऐसे पत्थरों का चयन किया जाएगा, जो आकाश के रंग का हो.

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इसके लिए महाराष्ट्र और उड़ीसा के मूर्तिकला के विद्वानों ने आश्वासन दिया है कि ऐसा पत्थर उनके पास उपलब्ध है. ट्रस्ट ने अभी इन मूर्तिकारों से मूर्ति का डायग्राम तैयार करने को कहा है. लिहाजा भगवान की आंख से लेकर चरणों तक श्रद्धालु आसानी से दर्शन हो सके. इसका भी वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं.

भगवान राम के मस्तक पर होगा सूर्य तिलक

चंपत राय के मुताबिक, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि रामनवमी के दिन भगवान के मस्तक पर सूर्य की आने वाली किरणें से तिलक हो. इसको लेकर वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि रामलला की मूर्ति का मस्तक फ्लोर से 7 से 8 फुट ऊपर होना चाहिए. इसके ही आधार पर मूर्ति के पैडस्टल का निर्माण होगा.

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इसका प्रयोग रुड़की में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट कर रही है. इसका पहला ट्रायल सफल हो गया है. उन्होंने बताया कि मंदिर के चारों ओर भगवान राम के जीवन के 100 प्रसंगों को पत्थरों पर उकेरा जाएगा.

गर्भगृह के अतिरिक्त होंगे पांच मंडप

चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह के अतिरिक्त पांच मंडप और बनेंगे. तीन मंडप प्रवेश द्वार से गर्भगृह की ओर और दो मंडप अगल-बगल होंगे. उन्हें कीर्तन मंडप कहा जाएगा. गर्भगृह में व्हाइट मार्बल का इस्तेमाल किया जाएगा. गर्भ गृह के चारों ओर परिक्रमा मार्ग भी बन रहा है. सभी खंभों और दीवारों पर करीब 7 हजार मुर्तियां बनेंगी. इसके साथ ही एक कोने पर भगवती, दूसरे कोने पर गणपति, तीसरे कोने पर भगवान शंकर की मूर्ति होगी और बीच में भगवान राम होंगे. परकोटे के दक्षिण में हनुमान जी और उत्तर में अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थापित की जाएगी. संतों ने इसकी परिकल्पना की है.

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