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धामी सरकार के कड़े रुख अपना लिए जाने के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि पुलिस प्रशासन आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी लगा सकती है.

चक-रायपुर स्थित टी-स्टेट की 12.5 एकड़ जमीन के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले मामले में फरार चल रहे मुख्य आरोपी एडवोकेट इमरान सहित एक और रजिस्ट्रार कर्मी अजय क्षेत्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. दोनों ही अभियुक्तों को न्यायालय में पेश किया गया है.जहां से दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया हैं.

इससे पहले पुलिस ने देहरादून रजिस्टार कार्यालय में तैनात कर्मचारी डालचंद सहित असम (डिब्रूगढ़) निवासी 02 टिंबर व्यापारी भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था.ऐसे में अब तक इस गंभीर प्रकरण में मास्टरमाइंड सहित पांच लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं..हालांकि अभी पुलिस टीम की गहनता से जांच पड़ताल जारी है. उम्मीद जताई जा रही हैं कि अभी कई लोग और गिरफ्तार हो सकते हैं.

जानकारी के मुताबिक  रायपुर (चक) स्थित टी- स्टेट की 12.5 एकड़ भूमि की फर्जी रजिस्ट्री व दस्तावेज तैयार कर करोड़ों की हेरा फेरी का मामला दून पुलिस ने उजागर किया था. पुलिस ख़ुलासे के अनुसार मास्टरमाइंड एडवोकेट इमरान अहमद सहित अन्य लोगों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत पहले रायपुर स्थित टी- स्टेट जमीन के फर्जी रजिस्ट्रीयां तैयार की और फिर उन दस्तावेजों को रजिस्टार ऑफिस में तैनात कर्मचारी डालचंद की मदद से रिकॉर्ड दस्तावेजों से बदला.और फिर उन्ही जाली दस्तावेजों के आधार पर टी-स्टेट की 12.5 एकड़ जमीन को करोड़ों में बेचने का गोरखधंधा किया. इस केस में अब तक मुख्य आरोपी एडवोकेट सहित 5 लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे जा चुके हैं. हालांकि अभी इस गंभीर मामलें में पुलिस की टीमें गहन जांच पड़ताल जुटी हुई है. उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी दिनों में कई लोग और भी गिरफ्तार हो सकते हैं.

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पुलिस ने बीते 12 अगस्त 2023 को इस केस में तीन लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे थे. इसी क्रम में फरार चल रहे अभियुक्त इमरान अहमद को नेहरू कॉलोनी क्षेत्र से गिरफ्तार किया.इमरान से पूछताछ में यह बात प्रकाश में आयी कि अभियुक्त इमरान का अन्य सहयोगियों के माध्यम से सहारनपुर निवासी के0पी0 (कुंवर पाल) से हुआ था. वही इनके द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय में नियुक्त अजय क्षेत्री के साथ मिलकर ऐसी जमीने जो कई वर्षों से विवादित हो और खाली पड़ी हो उन जमीनों के कागजात जिल्द फाइलों से निकालकर कै०पी० को दिये जाते थे.उसके बाद के0पी0 द्वारा अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन कागजातों की फर्जी रजिस्ट्रियां बनाकर कर पुनः उनकी प्रतियां उन्हीं जिल्द फाइलों में अजय क्षेत्री के माध्यम से लगवा दिये जाते थे. अभियुक्त इमरान के बयानों के आधार पर रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइडिंग का कार्य करने वाले अजय क्षेत्री को भी बल्लूपुर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया. अभियुक्त द्वारा अपने अपराध को स्वीकार करते हुये बताया गया कि वह के०पी० के सम्पर्क में काफी समय से था और के0पी0 द्वारा लालच दिये जाने एवं उनकी आर्थिक मदद करने के कारण उसके द्वारा रिकॉर्ड रूम से पुराने वर्षो की जिल्द फाइलों से कागज निकालकर के०पी० को दिये जाते थे. के०पी० द्वारा उन कागजों के बदले दूसरे कागज तैयार: कर पुनः उसे दिये जाते थे.जबकि अजय क्षेत्री द्वारा उन कूटरचित कागजातों को जिल्द फाइलो में उसी क्रम में चिपका दिया जाता था. इसके बाद के0पी0 इनरान व उसके अन्य सहयोगियों द्वारा सम्बन्धित भूमि पर कब्जा करते हुये उनकी रजिस्ट्रियां विभिन्न प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से बेच दी जाती थी. जिसका प्रॉफिट सभी अभियुक्तों के द्वारा तय प्रतिशत द्वारा आपस में बांट लिया जाता था.पुलिस के अनुसार दौराने पूछताछ के0पी0 के अलावा अन्य कई अभियुक्तों का इस अपराध में शामिल होना प्रकाश में आया है जिनकी तलाश की जा रही है.

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1. अभियुक्त इमरान अहमद पुत्र स्व0 तोहित अमहद नि0 226/2 आकाशदीप कालोनी बल्लूपुर रोड़ थाना कैण्ट देहरादून उम्र 34

2. अभियुक्त अजय सिंह क्षेत्री पुत्र स्व0 श्री देवानन्द क्षेत्री नि0 21 गांधी नगर बल्लूपुर रोड़ थाना गढीकैन्ट देहरादून उम्र 50.

जांच पड़ताल जारी, भू कारोबारियों में हड़कम्म

पुलिस के अनुसार अब तक की विवेचना से एवं गिरफ्तारशुदा अभिगणों के बयानों तथा प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर यह बात प्रकाश में आयी कि रजिस्ट्रार ऑफिस में नियुक्त बाइन्डर अजय क्षेत्री ने लालच में आकर वर्ग 1984-85 व वर्ष 1980 की जिल्द फाइलो में से ऐसे कागजात जो लोन, लीज, तितम्बा, किरायेनामा आदि से सम्बन्धित हो उन कागजातों को फाइलों से निकालकर अभियुक्त के०पी० को दिया. जिसके पश्चात अभियुक्त गणों ने रिंग रोड, रानी पोखरी, नवादा आदि जमीनों के भूस्वामियों के नाम से अपने आदमियो के नाम की फर्जी रजिस्ट्रियां करना दिखाते हुये उन कागजो को वापस अजय क्षेत्री के माध्यम से पुनः उसी क्रम में उसी वर्ष की जिल्द फाइलो में चिपका दिया जाता था. इसके पश्चात अभिगण रजिस्ट्रार कार्यालय से प्रमाणित प्रति प्राप्त कर उन जमींनो की दाखिल खारिज करवाकर प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से जमीने बेचा करते थे. ऐसे में अभिगणों ने इन कूटरचित रजिस्ट्रियों के माध्यम से जमीने बेचकर लगभग 15 करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाया जिसका बंटवारा अभिगणों एवं अन्य प्रकाश में आये अभियुक्तों ने आपस में तय किये प्रतिशत अनुसार बांट लिये.जबकि के०पी० द्वारा बाइन्डर अजय क्षेत्री को भी उपरोक्त काम के एवज में करीब 45 लाख का 166 गज का एक प्लॉट रिंग रोड पर रजिस्ट्री कर दिया गया साथ ही लगभग 10-15 लाख रूपये की आर्थिक मदद विभिन्न तरीके से करी. बरामदगी अभि0 अजय क्षेत्री के कब्जे से अभि० के०पी० व संतोष अग्रवाल व अन्य प्रकाश में आये अभियुक्तों द्वारा रिंग रोड पर खसरा नं0 1584 रकबा 166 गज भूमि प्लॉट की रजिस्ट्री व अभियुक्त अजय क्षेत्री के बैंक अकाउण्ट की पासबुक जिसमें लाखों रूपये की एन्ट्री है को बरामद किया गया.

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लगाया जा सकता है गैंगस्टर एक्ट

जमीन संबंधी दस्तावेजों के मामले धामी सरकार के कड़े रुख अपना लिए जाने के बाद संभावना व्यक्त की जा रही है कि पुलिस प्रशासन आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट भी लगाने जा रही है, इस बारे में विधिक राय ली जा रही है।

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