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नैनीताल: हल्द्वानी में भू माफियाओं की ओर से रेलवे, नजूल भूमि समेत वन भूमि को खुर्द बुर्द कर 10 और 100 रुपए के स्टांप में बेचे जाने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई की तारीख रखी है.

आज मामले में याचिकाकर्ता की तरफ से जल्द सुनवाई को लेकर प्रार्थना पत्र पेश किया गया. जिसमें उन्होंने कहा गया कि अभी भी दस और सौ रुपए के स्टांप पर नजूल, वन और रेलवे की भूमि को बेचा जा रहा है. जिसे एक साल बीत गया है, लेकिन सरकार ने जवाब पेश नहीं किया.

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सरकार ने रखा अपना पक्ष: वहीं, सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि इससे संबंधित रेलवे भूमि पर अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. जिस पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि यह मामला अलग है.

दरअसल, हल्द्वानी निवासी हितेश पांडे ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि हल्द्वानी के गफूर बस्ती में रेलवे की भूमि, गौलापार गौजाजाली स्थित वन विभाग और राजस्व की भूमि को भू माफियाओं की ओर से 100 और 500 रुपए के स्टांप पर बेच दिया गया है.

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जिन लोगों को यह भूमि बेची गई, वे लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं है. ये लोग रोजगार के लिए यहां आए थे. कुछ ही समय बाद सीएससी सेंटर में इनके वोटर आईडी तक बन गए. जब इसकी शिकायत प्रशासन और मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई तो याचिकाकर्ता को जान माल की धमकी तक भू माफियाओं की ओर से दी गई.

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जनहित याचिका में कहा गया कि ये लोग उत्तराखंड के स्थायी निवासी नहीं है. राज्य सरकार इन लोगों पर बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. जिसका भार स्थायी लोगों पर पड़ रहा है.

दस्तावेजों की जांच की मांग: इनकी वजह से स्थायी लोगों को सरकार की योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि इस मामले की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से की जाए. इनके सभी दस्तावेजों की जांच की जाए.