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जम्मू-कश्मीर में पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई एक्शन लिए हैं। दिल्ली में 2 घंटे से अधिक चली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला लिया गया है।

ये रोक तब तक जारी रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता।

सिंधु और सहायक नदियां चीन, भारत और पाकिस्तान से होकर बहती हैं। सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर रोक लगाने की अहमियत पाकिस्तान भली-भांती जानता है। सिंधु और सहायक नदियों का पानी पाकिस्तान की लाइफ लाइन कहा जाता है। भारत के पानी पर रोक लगाते ही पाकिस्तान के लोग पानी के लिए तरस जाएंगे। ये ही वजह है कि भारत के फैसले से पाकिस्तान तिलमिला गया है। पाकिस्तान के पूर्व सूचना एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने भारत के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा-

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अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत संधि को स्थगित नहीं कर सकता। यह संधि कानून का घोर उल्लंघन होगा, इसका असर पंजाब और सिंध के गरीब किसानों पर पड़ेगा।

क्या है सिंधु जल समझौता?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुई थी। सीधे शब्दों में ये दोनों देशों के बीच 6 नदियों के जल-बंटवारा का समझौता है। इसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी। इस समझौते पर दोनों देशों के बीच बातचीत 9 साल तक चली थी। इस समझौते पर भारत की तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी के तत्कालीन मिलिट्री जनरल अयूब खान के हस्ताक्षर हुए थे। संधि के तहत सिंधु और सहायक नदियां का 20% पानी भारत और 80% पानी पाकिस्तान को मिलता है।

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संधि के तहत भारत को 2 पूर्वी नदियों पर नियंत्रण मिला हुआ

  • रावि
  • ब्यास
  • सतलुज

पाकिस्तान को पश्चिम 3 नदियों पर नियंत्रण मिला हैं

  • सिंधु
  • चिनाब
  • झेलम

संधि टूटने से पाकिस्तान को नुकसान

सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) के टूटने से पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक, कृषि और सामाजिक नुकसान होगा। इस संधि से जो पानी पाकिस्तान पहुंचता है उसपर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और जनजीवन काफी हद तक निर्भर है। पाकिस्तान की करीब 2.6 करोड़ एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर निर्भर करती है।

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भारत के पानी रोकने या डायवर्ट करने से पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांतों में सूखे जैसे हातल पैदा हो सकते हैं। ये दोनों राज्य पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पानी रुकने के बाद आर्थिक रूप से पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी। कृषि क्षेत्र में 40% से अधिक रोजगार और GDP का 20% हिस्सा योगदान देता है। पहले से भूखे मर रहे पाकिस्ता नें पानी की कमी से खाद्य संकट और बेरोजगारी बढ़ जाएगी।