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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज बुधवार को विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई है. इस बैठक में सरकार को घेरने की नई रणनीति पर मंथन किया जाएगा. इस समय क्योंकि सबसे बड़ा मुद्दा भारत-चीन तनाव चल रहा है, ऐसे में इसे लेकर भी चर्चा की जाएगी.

शीतकालीन सत्र में जब से भारत-चीन तनाव का मुद्दा उठाया गया है, विपक्ष और सरकार के बीच में तकरार बढ़ गई है. मंगलवार को इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की तरफ से विस्तृत बयान तो जारी कर दिया, लेकिन विपक्ष अभी भी इससे संतुष्ट नहीं है. अब आगे की क्या रणनीति रहे, किस तरह से सरकार को घेरा जाए, इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष की एक अहम बैठक बुलाई है. कई पार्टी के नेता इस बैठक में हिस्सा लेने वाले हैं और आगे की रणनीति पर मंथन किया जाएगा.

खड़गे ने क्यों बुलाई विपक्षी दलों की बैठक?

बताया जा रहा है कि समान विचारधारा रखने वाले उन सभी दलों को मल्लिकार्जुन खड़गे की तरफ से न्योता भेजा गया है. बैठक में प्रमुख मुद्दा भारत-चीन तनाव ही रहने वाला है. वैसे भी विपक्ष द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि सदन में उन्हें इस मुद्दे पर अपनी बात रखने का पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है. सरकार से भी जिस प्रकार के जवाब की उम्मीद लगाई जा रही है, वो नहीं मिला है. इसी वजह से सरकार को किस प्रकार से घेरा जाए, इसलिए इस बैठक को बुलाया गया है.

जानकारी के लिए बता दें कि मंगलवार को सदन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चीन के आक्रमक रवैये को लेकर सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि सरकार मूकदर्शक बनकर रह गई है. उसकी तरफ से लगातार जमीनी हकीकत की अनदेखी की जा रही है. खड़गे ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया था कि चीन ने डेपसांग वाले इलाके में भी घुसपैठ करने की कोशिश की. वैसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया था कि चीनी सैनिकों की साजिश को जमीन पर नाकाम कर दिया गया था.

चीन की हरकत पर रक्षा मंत्री का बयान

उन्होंने बताया था कि 09 दिसंबर 2022 को PLA सैनिकों ने अरुणाचल के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास किया.  चीन के इस प्रयास का हमारी सेना ने दृढ़ता के साथ सामना किया. इस दौरान दोनों पक्ष आमने सामने आ गए. हाथापाई भी हुई. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं. लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं कि झड़प में हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई और न ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ.