उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अवैध कब्जाधारियों के लिए सबसे आसान निशाना सरकारी भूमि रही है। पहले मतांतरण फिर नकलरोधी कानून के बाद मुख्यमंत्री धामी ने अब अपने कार्यकाल के तीसरे वर्ष में दाखिल होने के महज तीन दिन बाद ही अतिक्रमण पर सख्त कानून के मास्टर स्ट्रोक से अपने तेवर दिखा दिए हैं।
पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अवैध कब्जाधारियों के लिए सबसे आसान निशाना सरकारी भूमि रही है। वन से लेकर शहरी और त्रिस्तरीय पंचायतों की भूमि पर तेजी से अतिक्रमण हुए हैं। आश्चर्यजनक तरीके से सरकारी मशीनरी मूकदर्शक बनी रही है। तेजी से फूल-फल रही इस समस्या की तोड़ आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तलाश करनी पड़ी।
पहले मतांतरण, फिर नकलरोधी कानून और अब…
सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के लिए पहले संबंधित विभागों की जवाबदेही तय करने के बाद धामी सरकार ने अब ऐसे अवैध कब्जे को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध घोषित कर दिया। पहले मतांतरण, फिर नकलरोधी कानून के बाद मुख्यमंत्री धामी ने अब अपने कार्यकाल के तीसरे वर्ष में दाखिल होने के महज तीन दिन बाद ही अतिक्रमण पर सख्त कानून के मास्टर स्ट्रोक से अपने तेवर दिखा दिए हैं।
उत्तराखंड में जनसांख्यिकीय संतुलन तेजी से गड़बड़ाने के पीछे सरकारी, सार्वजनिक और निजी भूमि पर बढ़ते अवैध कब्जे को बड़े खतरे के रूप में देखा जा रहा है। वनों के भीतर और बाहर शहरी निकायों और पंचायतों के दायरे में सबसे पहले नदी-नालाें के इर्द-गिर्द भूमि को अतिक्रमणकारियों ने निशाना साधा। यह खतरा बढ़ते-बढ़ते अब शहरों, गांवों और वनों के भीतर राजकीय, सार्वजनिक और निजी भूमि को भी अपनी चपेट में लेने लगा है। यद्यपि, इस सबमें राजनीतिक दलों और उनके नेताओं की भूमिका पर ही अंगुली अधिक उठी हैं।
सरकारी भूमि और परिसंपत्तियों पर मंडराते इस खतरे से निपटने की कोशिशें मुख्यमंत्री धामी ने बीते वर्ष अपनी दूसरी पारी के कुछ माह बाद तेज की थीं। वन भूमि पर धार्मिक स्थलों की आड़ में कब्जों को हटाने का अभियान मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रारंभ हुआ। राज्य में अब तक 450 कब्जे हटाए भी जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने सबसे पहले विभागों पर शिकंजा कसा
प्रदेश में भूमि और परिसंपत्तियों पर अतिक्रमण को लेकर ढुलमुल रवैये के कारण मुख्यमंत्री ने सबसे पहले विभागों पर शिकंजा कसा। कैबिनेट के निर्णय के बाद बीते मई माह में विभिन्न विभागों को अतिक्रमण को तत्काल रोकने और उन्हें हटाने के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। अब हर विभाग को नोडल अधिकारी नामित कर विभागीय भूमि-परिसंपत्ति पर किसी भी तरह के अतिक्रमण पर नजर रखने को कहा गया है।
जिलों में जिलाधिकारी से लेकर शासन स्तर पर मुख्य सचिव इस पूरी मुहिम की निगरानी कर रहे हैं। इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए पूरे प्रदेश में सरकारी भूमि व परिसंपत्तियों का डिजिटल लैंड बैंक भी बनाया जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी की सहायता से अतिक्रमण होते ही इसकी तुरंत सूचना संबंधित विभाग को मिलने की व्यवस्था की जा रही है।
अध्यादेश लाने में गोपनीयता भी बरती
मुख्यमंत्री धामी ने अब तीसरे चरण में प्रदेश में भूमि पर अवैध कब्जे को ही संगीन अपराध बनाते हुए सख्त कानून को अमलीजामा पहना दिया है। अध्यादेश के रूप में लाया गया यह कानून पुराने और नए, दोनों प्रकार के अतिक्रमण पर लागू होगा।
खास बात यह है कि अवैध कब्जों पर सख्त रुख अपनाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने इस अध्यादेश लाने में काफी हद तक गोपनीयता भी बरती। धामी ने बीती चार जुलाई को बतौर मुख्यमंत्री दो वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। अपने पहले कार्यकाल में मतांतरण के खिलाफ देश का सबसे सख्त कानून बना चुके धामी ने दूसरे कार्यकाल में सख्त कानून बनाने का क्रम जारी रखा है।