उत्तराखंड राज्य सरकार प्रदेश के पशुपालकों की आय बढ़ाए जाने पर जोर दे रही है. यही वजह है कि सरकार की ओर से पशुपालकों के लिए तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार की ओर से पशुपालकों की आय में वृद्धि की जाने को लेकर दुग्ध उत्पादन पर भी जोर दिया जा रहा है, ताकि पशुपालकों को दूध उत्पादन से बेहतर आय मिल सके, लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि दुग्ध विभाग की दुग्ध समितियों के जरिए पिछले कुछ सालों के भीतर दुग्ध उत्पादन तो बढ़ा, लेकिन दुग्ध बिक्री नहीं बढ़ पाई है, जो दुग्ध विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
दुग्ध विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कुछ सालों से लगातार प्रदेश में संचालित दुग्ध समितियों के दुग्ध प्रोक्योर में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है. जिसके अनुसार, दुग्ध समितियों के जरिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,85,161 किलोग्राम दुग्ध का प्रोक्योरमेंट हुआ था. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,88,780 किलोग्राम दुग्ध का प्रोक्योरमेंट हुआ था. इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिसंबर महीने तक 1,96,868 किलोग्राम दुग्ध का प्रोक्योरमेंट हो चुका है. यानी पिछले कुछ सालों से दुग्ध समितियों के जरिए होने वाले दुग्ध प्रोक्योरमेंट में बढ़ोत्तरी हुई है.
दुग्ध विभाग के सामने एक बड़ी चुनौती यही है कि जितनी मात्रा में दुग्ध का प्रोक्योरमेंट किया जा रहा है. उसके सापेक्ष दुग्ध की बिक्री काफी कम हो रही है. जिसके चलते दुग्ध समितियां पर ही इसका सीधा असर पड़ रहा है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,60,188 किलोग्राम दुग्ध की बिक्री हुई थी. वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,54,001 किलोग्राम दुग्ध की बिक्री हुई थी. साथ ही वित्तीय वर्ष 2024-25 में दिसंबर महीने तक 1,58,962 किलोग्राम दुग्ध की बिक्री हुई थी.
दुग्ध मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि साल 2022 में जब उनको इस विभाग की जिम्मेदारी मिली थी, उस दौरान आंचल दूध की क्वालिटी और बिक्री को लेकर बड़ी समस्या थी. जिसके चलते, दुग्ध समितियां की ओर से दूध का प्रोक्योरमेंट जो काफी कम था. सबसे पहले उसको बढ़ाने पर जोर दिया गया. इसके बाद आंचल दूध की क्वालिटी को बेहतर करने पर विभाग ने काम किया. ऐसे में अब विभाग की कोशिश है कि आंचल दूध की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की जाए.
सौरभ बहुगुणा ने कहा कि दुग्ध संघों के साथ कई दौर की बैठकें भी की जा चुकी हैं, ताकि समितियां दूध प्रोक्योरमेंट के साथ ही दूध की बिक्री पर भी विशेष जोर दें, क्योंकि जितनी मात्रा में दूध प्रिक्योर किया जा रहा, उतनी मात्रा में बिक्री नहीं होगी, तो दुग्ध संघों को नुकसान होगा. ऐसे में अब विभाग का फोकस आंचल दूध की ब्रांडिंग और मार्केटिंग की तरफ है. इसके लिए टॉप एक्सपर्ट को हायर करने पर बात चल रही है. साथ ही अन्य दुग्ध कंपनियों की जो मार्केटिंग एजेंसी है, उनसे भी बातचीत चल रही है कि वो आंचल दूध की भी मार्केटिंग करें.


