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उत्तराखंड, नैनीताल 

पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गौला, कोसी, दाबका में खनिज निकासी की पांच साल की अनुमति संबंधी आदेश जारी कर दिया है। ऐसे में खनन में मुख्य अड़चन दूर हो गई है। हालांकि जो हालात हैं, उनमें अन्य प्रक्रिया को पूरी करने के बाद कुछ दिन लग सकते हैं।

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मंत्रालय ने गौला नदी में 1473 हेक्टेयर में खनन की सशर्त अनुमति दी है। उसमें कहा गया है कि टाइगर कॉरिडोर में खनिज निकासी नहीं होगी। टाइगर कॉरिडोर के 24 हेक्टेयर में खनन प्रतिबंधित रहेगा। यह क्षेत्र शिवालिक एलिफेंट रिजर्व में भी आता है, ऐसे में कॉरिडोर और कनेक्विटी का ध्यान रखा जाए। इसके अलावा पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय ने क्षतिपूरक वनीकरण अफसल होने की बात कही है, उसमें राज्य सरकार तीन महीने के अंदर जवाबदेही तय करें। इसके अलावा मंत्रालय निश्चित अंतराल पर शर्तों का कितना पालन हो रहा है उसकी समीक्षा भी करे। खनिज निकासी से मिलने वाले एक निश्चित राजस्व का इस्तेमाल वन, पर्यावरण क्षेत्र के संरक्षण में होने वाले कार्यों पर किया जाए।

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मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं ने गौला नदी और तराई पश्चिम वन प्रभाग डीएफओ प्रकाश आर्य ने कोसी, दाबका में खनन अनुमति आदेश जारी होने की पुष्टि की है। अधिकारियों के अनुसार इस अनुमति के बाद कुछ राज्य स्तर पर प्रक्रिया हैं, जिनके जल्द पूरा होने के बाद खनिज निकासी शुरू हो जाएगी। दूसरी तरफ बुधवार को गौला में खनिज निकासी नहीं हो सकी।

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