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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी मो. उस्मान खान की जमानत याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने आरोपी को कोई राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख दी है.

मामले के अनुसार आरोपी उस्मान ने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट प्रार्थना पत्र पेश किया था. प्रार्थना पत्र ने उस्मान का कहना था कि उसे इस केस में सोची समझी साजिश के तहत फंसाया गया. बता दें कि इस मामले के सामने आने के बाद नैनीताल में जमकर बवाल हुआ था.

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जानिए पूरा मामला: दरअसल, नैनीताल के जाने-माने ठेकेदार 65 साल के मो. उस्मान खान पर आरोप है कि उसने 12 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया है. आरोप है कि आरोपी बीते तीन महीने से नाबालिग के साथ गंदी हरकतें कर रहा था. ये मामला 30 अप्रैल को सामने आया है, जिसके बाद शहर में काफी हंगामा हुआ था. लोगों ने शहर में तोड़फोड़ भी थी. इस दौरान नैनीताल बंद भी रहा था.

इसके अलावा उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय द्वारा डिप्टी लाइब्रेरियन-कम एसोसिएट प्रोफेसर मीना सिंह को यूजीसी के नियमों के तहत लाइब्रेरियन के समस्त लाभ न दिये जाने के मामले पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद खंडपीठ ने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय से याची को यूजीसी व केंद्र सरकार की नियमावली 2010 के तहत वेतनमान व अन्य प्रकरणों पर छह माह के भीतर निर्णय लेने के आदेश जारी किए हैं. मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई.

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दरअसल, मामले के अनुसार जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर कम डिप्टी लाइब्रेरियन के पद पर कार्यरत मीना सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि वे विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थी. विश्वविद्यालय में डिप्टी लाइब्रेरियन का पद भी रिक्त था. उसके लिए उन्होंने भी आवेदन किया गया. वे इसके लिए योग्य भी पाई गई, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय उन्हें इस पद का निर्धारित वेतनमान नहीं दे रहा है. याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि उन्हें यूजीसी की नियमावली 2010 के तहत वेतनमान दिलाया जाने के निर्देश विश्वविद्यालय को दिए जाए.

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