ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में भी बड़ा उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर दबाव लगातार बढ़ रहा है.
न केवल विपक्ष बल्कि सेना के भीतर से भी सवाल उठने लगे हैं. इस हालात में तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ खुद मैदान में उतर आए हैं. गुरुवार को नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री आवास में हुई हाई-लेवल सिविल-मिलिट्री बैठक में भाग लेकर संकेत दे दिया कि वह अब पर्दे के पीछे नहीं, बल्कि खुलकर सक्रिय भूमिका में हैं.
नवाज शरीफ की वापसी ऐसे समय पर हुई है, जब भारत ने पुलवामा हमले के बाद की तरह एक बार फिर पाकिस्तान पर सैन्य दबाव बढ़ा दिया है. ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया. इस बीच शहबाज शरीफ की कूटनीतिक रणनीति विफल होती दिख रही है. हालात को संभालने और शांति की दिशा में पहल करने के लिए नवाज शरीफ ने खुद कमान संभाली है. पीएम हाउस में हुई बैठक में उन्होंने शहबाज को भारत के साथ तनाव घटाने की दिशा में कूटनीतिक प्रयास तेज करने की सलाह दी.
पाकिस्तान में बिग ब्रदर की वापसी
नवाज शरीफ लंबे समय से भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की पक्षधर रहे हैं. चाहे 1999 की लाहौर बस यात्रा हो या 2015 में मोदी की लाहौर यात्रा. नवाज ने कई बार दोस्ती की पहल की. ऐसे में मौजूदा संकट को देखते हुए उन्हें फिर से बैकचैनल कूटनीति के मोर्चे पर सक्रिय किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच गुप्त बातचीत शुरू हो चुकी है. नवाज की भूमिका इन्हीं बैकडोर प्रयासों को मजबूत करने में मानी जा रही है.
जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान पस्त
हालांकि पाकिस्तान की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. भारत की जवाबी सैन्य कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने भले कुछ फाइटर जेट्स गिराने का दावा किया हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसे समर्थन नहीं मिल रहा. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को मान्यता दी है और पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ सख्ती से कदम उठाने की चेतावनी दी है. इस सबके बीच नवाज की वापसी शहबाज सरकार को कुछ राहत देने की कोशिश जरूर है, लेकिन आंतरिक सियासी संकट और वैश्विक दबाव के बीच उनका रास्ता आसान नहीं होगा.
अब नवाज खुद संभालेंगे कमान!
मौजूदा हालात में यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान की बागडोर अब पूरी तरह नवाज शरीफ के हाथ में जाने लगी है. सेना और सिविल लीडरशिप के बीच सामंजस्य बनाने, अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करने और भारत के साथ तनाव घटाने जैसे बड़े मुद्दों पर नवाज शरीफ सक्रिय हो चुके हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या उनकी कोशिशें रंग लाएंगी या फिर पाकिस्तान एक और बड़े राजनीतिक संकट की ओर बढ़ रहा है.


