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उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में किसी भी बच्चे को बिना किसी भेदभाव के दाखिला दिया जाएगा। राज्य में किसी भी बच्चे को किसी भी कारण से सरकारी स्कूल में दाखिले से मना करने वाले प्रधानाचार्य या शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

-सरकारी स्कूल में दाखिले से मना करने वाले प्रधानाचार्य के खिलाफ होगी कार्रवाई

– भिक्षावृति खत्म करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर तत्काल कार्य आरंभ करने के निर्देश

– सभी सरकारी स्कूलों को आदेश जारी, अपर सचिव शिक्षा रंजना राजगुरू बनाई गईं नोडल

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त निर्देश है कि राज्य में दस्तावेजों के अभाव में कोई भी सरकारी स्कूल किसी भी जरूरतमंद बच्चे को मना नहीं कर सकता है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अपर सचिव शिक्षा रंजना राजगुरू को तत्काल प्रभाव से इस संबंध में सभी सरकारी स्कूलों को आदेश जारी करने के निर्देश दिए हैं।

सचिवालय में महिला एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय मूल्यांकन अनुश्रवण समिति की पहली समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने देहरादून के आईएसबीटी क्षेत्र में भिक्षावृति खत्म करने तथा उनके पुर्नवास के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर तत्काल कार्य आरंभ करने के निर्देश दिए हैं।

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दस्तावेजों के अभाव में भी स्कूलों में मिलेगा दाखिला

राज्य में कुछ अनाथ, गरीब, भिक्षावृति में लिप्त, जरूरतमंद एवं प्रवासी मजदूराें के बच्चों को जरूरी दस्तावेज जैसे आधार, राशन कार्ड आदि के न होने के कारण स्कूलों द्वारा दाखिला न दिए जाने के मामले संज्ञान में लें। जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के मुद्दे को अत्यंत संवेदशीलता से लेते हुए मुख्य सचिव ने अपर सचिव शिक्षा को इसके लिए नोडल बनाया है।

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भिक्षावृति, बाल विवाह तथा बाल श्रम रोकने के निर्देश

मुख्य सचिव ने राज्य में बाल भिक्षावृति, बाल विवाह तथा बाल श्रम के मामले पूरी तरह रोकने के लिए सभी संबंधित विभागों को सटीक आंकडे़ उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध में जल्द स्टेट रिर्सोस सेन्टर की स्थापना करने के भी निर्देश दिए हैं।

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