हल्द्वानी: महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर उत्तराखंड के छोटा कैलाश धाम में हजारों श्रद्धालु पहुंचे और भगवान शिव की आराधना की।
नैनीताल जिले के भीमताल ब्लॉक के पिनरो गांव की ऊँची पहाड़ी पर स्थित यह शिवालय ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां पार्वती संग धूनी रमाई थी, जो आज भी अखंड जल रही है।
धार्मिक मान्यताएं और ऐतिहासिक महत्व
माना जाता है कि सतयुग में भगवान शिव और माता पार्वती इस पर्वत पर ठहरे थे और तभी से यह स्थान पवित्र धाम बन गया। त्रेता युग में भगवान शिव ने इसी पहाड़ से राम-रावण युद्ध देखा था, जबकि द्वापर युग में पांडवों ने वनवास के दौरान यहां एक रात बिताई थी। इन किवदंतियों के कारण छोटा कैलाश में भक्तों की अटूट श्रद्धा बनी हुई है।
पवित्र पार्वती कुंड और भक्तों की आस्था
यहां स्थित पार्वती कुंड को भगवान शिव ने अपनी दिव्य शक्ति से बनाया था। माना जाता है कि इस कुंड में हमेशा पवित्र जल रहता था, लेकिन अपवित्र किए जाने के कारण यह सूख गया। अब प्रशासन ने इसे पुनर्जीवित कर पक्का कुंड बना दिया है।
कठिन चढ़ाई, लेकिन अटूट आस्था
हल्द्वानी से अमृतपुर, भौर्सा होते हुए पिनरो गांव तक वाहन से जाया जा सकता है, लेकिन इसके आगे 3-4 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी होती है। सावन और माघ के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है, जबकि महाशिवरात्रि पर विशाल मेला लगता है।
विशेष पूजा और अनोखी परंपरा
शिवरात्रि पर कुछ भक्त अपने हाथ बांधकर रातभर धूनी के आगे खड़े रहते हैं और मन्नत मांगते हैं। मान्यता है कि अगर किसी का हाथ अपने आप खुल जाए, तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। श्रद्धालु शिवलिंग की पूजा कर घंटियां और चांदी का छत्र चढ़ाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
छोटा कैलाश – आस्था और दिव्यता का प्रतीक
प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक मान्यताएं और कठिन चढ़ाई के बावजूद भक्तों की अटूट आस्था छोटा कैलाश को विशेष बना देती है। महाशिवरात्रि पर यहां पहुंचे भक्तों ने भोलेनाथ की आराधना की और शिव कृपा प्राप्त करने के लिए रात्रि भर अनुष्ठान किया।


