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पंतनगर विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सत्य कुमार को छात्राओं के खिलाफ छेड़छाड़ के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। विश्वविद्यालय की सेक्सुअल हैरेसमेंट एंड जेंडर जस्टिस कमेटी द्वारा की गई जांच में डॉ. कुमार को दोषी पाया गया, जिसके बाद प्रबंध परिषद ने उन्हें तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय की सेवाओं से निष्कासित करने का निर्णय लिया।

यह मामला 26 जुलाई 2024 का है, जब पादप रोग विज्ञान की एमएससी द्वितीय वर्ष की छात्राओं और एमबीजीई विभाग की छात्राओं ने डॉ. सत्य कुमार पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। छात्राओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन को शिकायती पत्र देकर इस मामले की गंभीरता से जांच की मांग की थी। इसके बाद 29 जुलाई को विश्वविद्यालय प्रशासन ने डॉ. कुमार को निलंबित कर दिया और मामले की जांच के लिए सेक्सुअल हैरेसमेंट एंड जेंडर जस्टिस कमेटी को जिम्मेदारी दी थी।

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जांच में डॉ. सत्य कुमार दोषी पाए गए
जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर प्रबंध परिषद ने 15 अक्टूबर को आयोजित अपनी 249वीं बैठक में मामले पर विचार किया। जांच रिपोर्ट में डॉ. कुमार को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया, जिसके बाद परिषद ने उन्हें विश्वविद्यालय से बर्खास्त करने का निर्णय लिया। प्रबंध परिषद ने कहा कि इस तरह के मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि विश्वविद्यालय में छात्राओं के बीच असुरक्षा का माहौल न बने।

न्यायिक और प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल 
डॉ. सत्य कुमार ने बर्खास्तगी के बाद आरोप लगाया कि इस मामले में केवल उनकी जाति का ही ध्यान रखा गया है और उन्हें यह खामियाजा अनुसूचित जाति से होने के कारण भुगतना पड़ा है। उन्होंने कहा, “मुझ पर यह कार्रवाई सिर्फ छात्राओं की शिकायत पर की गई है, जबकि पहले भी कई प्राध्यापकों पर इससे अधिक गंभीर आरोप लगे थे, लेकिन प्रशासन ने उन मामलों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।”

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डॉ. कुमार ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपनी कार्यभार संभालने के बाद से पहाड़ और प्लेंस के कर्मचारियों में भेदभाव करना शुरू कर दिया है। साथ ही कुमाऊं और गढ़वाल के कर्मचारियों के बीच भी मतभेद बढ़ाए हैं, जिससे विश्वविद्यालय में एक गहरी खाई उत्पन्न हुई है।

कुलपति के खिलाफ उठे सवाल  
डॉ. कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि कुलपति ने विश्वविद्यालय में आरएसएस के एजेंडे को लागू करने के प्रयास किए हैं, जिससे कर्मचारियों और छात्रों के बीच असंतोष और विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

विवि प्रशासन की स्थिति
इस पूरे घटनाक्रम के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की गई है। विश्वविद्यालय का कहना है कि ऐसे मामलों में संवेदनशीलता बरतते हुए जल्द से जल्द निर्णय लिया गया, ताकि किसी भी छात्रा को असुरक्षा महसूस न हो।

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संवेदनशीलता और कड़ी निगरानी की आवश्यकता
इस मामले ने विश्वविद्यालय के भीतर सुरक्षा और शैक्षिक अनुशासन पर सवाल उठाए हैं। जहां एक ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मजबूत संदेश दिया है कि किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, वहीं दूसरी ओर डॉ. सत्य कुमार के आरोप ने प्रशासन की नीयत और कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस पूरे विवाद के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन और डॉ. कुमार के बयान विश्वविद्यालय के शैक्षिक वातावरण को लेकर गहरी चर्चा पैदा कर रहे हैं, जो आने वाले समय में और जटिल हो सकती है।