मोबाइल इंसान का सबसे बड़ा राजदार बन चुका है। घर से निकलते वक्त अगर मोबाइल भूले तो आधे रास्ते से लौटकर वापस घर जाते हैं। ऐसे में मोबाइल गुम हो जाए तो लोगों को मोबाइल से ज्यादा उसमें मौजूद डेटा की फिक्र होती है।
बावजूद इसके अकसर लोग लापरवाह हो जाते हैं। कुमाऊं में हर साल एक हजार से ज्यादा मोबाइल खोने की शिकायत की जाती है। साइबर पुलिस के आंकड़ों की बात करें तो पिछले साल तक 1500 मोबाइल फोन खोने की लोगों ने पुलिस को शिकायत दी थी। जांच पड़ताल और सर्विलांस के माध्यम से पुलिस ने दिसंबर तक इनमें से 650 मोबाइल फोन बरामद कर उनके स्वामियों के सुपुर्द कर दिए थे।
लेकिन अब भी 900 से अधिक मोबाइल फोन गायब हैं, जिनकी ट्रेसिंग की जा रही है। अधिकांश मोबाइल फोन की लोकेशन नैनीताल जिले में आखिरी बार मिली क्योंकि इसके बाद फोन नहीं खुले। अब साइबर पुलिस सर्विलांस और तकनीकी उपकरणों की मदद लेकर छानबीन में जुट गई हैं। पिछली बार बरामद किए मोबाइल पुलिस को बिहार, जम्मू, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के अलग-अलग शहरों से मिले थे।
अब पुलिस मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर से इनकी लोकेशन खोज रही है। सीओ साइबर सुमित पांडे ने बताया कि खोये मोबाइल फोन की तलाश पुलिस लगातार करती है। लोकेशन तमाम उपकरणों से ट्रेस की जाती है।
इन उपकरणों की मदद मोबाइल खोजने में ली जाती है:
1. जीपीएस ट्रैकिंग: यदि मोबाइल फोन में जीपीएस सुविधा है, तो पुलिस फोन की लोकेशन ट्रैक कर सकती है।
2. सेल आईडी ट्रैकिंग: पुलिस मोबाइल फोन के सेल आईडी का उपयोग करके फोन की लोकेशन ट्रैक कर सकती है।
3. सेल्युलर नेटवर्क विश्लेषण: पुलिस मोबाइल फोन के सेल्युलर नेटवर्क का विश्लेषण करके फोन की लोकेशन ट्रैक कर सकती है।
4. कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) विश्लेषण: पुलिस मोबाइल फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड का विश्लेषण कर फोन की लोकेशन ट्रैक कर सकती है।


