कुमाऊं के पर्वतीय जिलों में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में मिल रहे चावल के नकली होने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। लोगों का कहना है कि गल्ले की दुकानों से मिल रहे चावल में मिलावट की जा रही है।
जिस कारण चावलों के दाने पानी में तैरते दिखाई दे रहे हैं। लगातार बढ़ रही शिकायतों को देख अब पिथौरागढ़ के खाद्य सुरक्षा विभाग ने सरकारी चावल के नमूने जांच के लिए रूद्रपुर स्थित राजकीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिए हैं।
लंबे समय से कुमाऊं के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत जिलों में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से मिल रहे चावलों के नकली होने की शिकायतें विभाग को प्राप्त हो रही हैं। लोगों को कहना है कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों से मिल रहे चावलों में नकली और प्लास्टिक के चावलों की मिलावट की जा रही है। जिस कारण चावल के दाने पानी में तैरते दिख रहे हैं और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
हालांकि प्रशासन लोगों से इन चावलों के फोर्टिफाइड होने और निसंकोच प्रयोग करने की बात कह चुका है। लेकिन इसके बाद भी इस तरह की शिकायतों में कोई कमी नहीं आ रही है। पिथौरागढ़ जिले में इस मामले में सबसे अधिक शिकायतें उपभोक्ताओं द्वारा खाद्य सुरक्षा विभाग से की गई हैं।
जिसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में मिल रहे चावलों के सैंपल लेकर उसे जांच के लिए रूद्रपुर में स्थित राजकीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी पिथौरागढ़ आरके शर्मा ने बताया कि सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों में मिल रहे चावलों को लेकर उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई हैं। उन्होंने बताया कि चावलों के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद भ्रम की इस स्थिति को दूर कर लिया जाएगा।