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शरद पवार ने कहा है कि सावरकर के देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बलिदान को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है, लेकिन उनके बारे में असहमति को आज एक राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि ध्यान केंद्रित करने के लिए कई अहम मुद्दे हैं. राहुल गांधी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी भारतीय ने विदेश में रहते हुए देश के मुद्दों पर बात की है.

आपातकाल और 91 बार प्रदेशों में राष्ट्रपति शासन लगाकर संविधान की हत्या करने वाली कांग्रेस आज संविधान और लोकतंत्र बचाओ का ढोंग कर रही हैं। हेमन्त द्विवेदी

स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद से ही विवाद छिड़ा हुआ है. बीजेपी राहुल गांधी पर बार-बार सावरकर का “अपमान” करने का आरोप लगा रही है. वहीं इसको लेकर महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी में भी आपसी विवाद शुरू हो गया था. जिसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सुप्रीमो शरद पवार ने मध्यस्थता करते हुए राहुल गांधी को चुप्पी की सलाह दी थी.

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इस बीच शरद पवार ने कहा है कि सावरकर के देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बलिदान को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है, लेकिन उनके बारे में असहमति को आज एक राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जा सकता है, क्योंकि ध्यान केंद्रित करने के लिए कई अहम मुद्दे हैं. राहुल गांधी का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब किसी भारतीय ने विदेश में रहते हुए देश के मुद्दों पर बात की है.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक नागपुर में बोलते हुए शरद पवार ने कहा कि 18-20 राजनीतिक दलों के नेताओं ने हाल ही में देश के सामने बड़े मुद्दों पर बैठक की और चर्चा की. मैंने सुझाव दिया कि हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि सत्ता में बैठे लोग देश को किस तरह चला रहे हैं. आज सावरकर कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है, यह पुरानी बात है. हमने सावरकर के बारे में कुछ बातें कही थीं लेकिन वह व्यक्तिगत नहीं थी. यह हिंदू महासभा के खिलाफ था. लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. हम देश की आजादी के लिए सावरकर जी द्वारा दिए गए बलिदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते.

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‘सावरकर के बारे में 32 साल पहले संसद में बात की थी’

पवार ने कहा कि करीब 32 साल पहले उन्होंने सावरकर के प्रगतिशील विचारों के बारे में संसद में बात की थी. सावरकर ने रत्नागिरी में एक घर बनवाया और उसके सामने एक छोटा मंदिर भी बनवाया. उन्होंने वाल्मीकि समुदाय के एक व्यक्ति को मंदिर में पूजा करने के लिए नियुक्त किया. मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही प्रगतिशील चीज थी.

‘कांग्रेस नेता को भी अपनी राय रखने की आजादी’

एनसीपी नेता ने कहा कि सावरकर को राष्ट्रीय आख्यान में विशेष रूप से धकेलने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि आम जनता से संबंधित कई अन्य प्रमुख मुद्दे हैं. गांधी की भाजपा की आलोचना पर पवार ने कहा कि कांग्रेस नेता को भी हर किसी की तरह अपनी राय रखने की आजादी है.

‘विदेश में पहले भी नेताओं ने सरकार की आलोचना की है’

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यह पूछे जाने पर कि क्या किसी नेता के लिए विदेशी धरती पर भारत से संबंधित मुद्दों पर बोलना उचित है, पवार ने कहा कि किसी को इसे ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं किया गया है. नेताओं ने अतीत में भी सरकार की आलोचना की थी. सिर्फ अब इस तरह के मुद्दों को बार-बार उठाया जा रहा है. अगर देश में लोग किसी बात को लेकर उत्तेजित महसूस करते हैं और अगर कोई भारतीय इसके बारे में बात करता है, तो मुझे लगता है कि उन मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए.

 

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