देहरादून। उत्तराखंड में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ियों का खुलासा होने के बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। इस एसआईटी की कमान आईजी लॉ एंड ऑर्डर डॉ निलेश भरने को सौंपी गई है।
सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि इस जांच टीम में हर जिले के पुलिस कप्तान, पीएचक्यू से एक पुलिस उपाधीक्षक और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का एक अधिकारी शामिल होगा। SIT पूरे राज्य में पिछले वर्षों में दी गई छात्रवृत्तियों की जांच करेगी, खास तौर पर उन संस्थानों पर जहां संदेह की आशंका गहरी हुई है।
गड़बड़ी का खुलासा कैसे हुआ?
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वर्ष 2021-22 और 2022-23 में उधम सिंह नगर सहित प्रदेश के कई जिलों में राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज आवेदनों की प्रमाणिकता की जांच की गई।
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इसी क्रम में पाया गया कि 796 छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति आवेदन दर्ज किए गए, जिनमें से 456 बच्चों के दस्तावेज संदिग्ध मिले।
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सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब सरस्वती शिशु मंदिर हाईस्कूल, किच्छा का नाम पोर्टल पर आया। बताया गया कि यह संस्थान अल्पसंख्यक विद्यालय या मदरसा नहीं होते हुए भी 154 मुस्लिम छात्रों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति दिखा रहा था।
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पोर्टल पर दर्ज दस्तावेजों में स्कूल के संचालक का नाम मोहम्मद शारिक-अतीक दर्ज था, जिससे पूरा मामला और संदिग्ध हो गया।
अन्य संदिग्ध संस्थानों पर भी जांच
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नेशनल अकादमी जेएमवाईआईएचएस, काशीपुर – 125 छात्रों के नाम संदिग्ध, संचालक गुलशफा अंसारी।
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मदरसा अल जामिया उल मदरिया – 27 छात्र, संचालक मोहम्मद फैजान।
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मदरसा अल्बिया रफीक उल उलूम, बाजपुर – 39 छात्र, संचालक जावेद अहमद।
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मदरसा जामिया आलिया, गदरपुर – 24 छात्र, संभवतः जावेद अहमद के नाम पर।
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मदरसा जामिया रजा उल उलूम, बाजपुर – 85 छात्र, संचालक इरशाद अली।
इन सारे मामलों की जांच के लिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी नंदिनी सिंह को भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
मुद्दे ने लिया तूल, लोकसभा में भी उठा मामला
इस गड़बड़ी पर हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा में सवाल उठाया। इसके जवाब में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री डॉ किरेन रिजिजू ने बताया कि उत्तराखंड ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी ऐसी शिकायतें आई हैं और राज्य सरकारों के सहयोग से जांच की जा रही है।
सीएम धामी और विभागीय अधिकारियों का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा:
“राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर दर्ज कई सूचनाएं संदेहास्पद प्रतीत हो रही हैं। सरकार ने निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए SIT का गठन किया है। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
वहीं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने कहा कि
“सरस्वती शिशु मंदिर के नाम से अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति का आवेदन सामने आते ही पूरे प्रदेश में गहन जांच शुरू की गई। अब SIT आगे की विस्तृत जांच करेगी और केंद्र सरकार से भी समन्वय किया जा रहा है





