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उत्तराखंड, पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड), 20 दिसंबर (भाषा) भारत और नेपाल के बीच काली नदी के किनारे एक सुरक्षा दीवार का निर्माण कर रहे भारतीय श्रमिकों पर सीमा पार से पथराव किया गया, जिसके बाद जिला प्रशासन ने इस मुद्दे को नेपाली प्राधिकारियों के समक्ष उठाया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

जिला मजिस्ट्रेट रीना जोशी ने बताया कि यह घटना सोमवार को पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में हुई। उन्होंने बताया कि पथराव करने वालों ने नारेबाजी भी की।

जोशी ने बताया कि उन्होंने इस घटना के बारे में नेपाली प्राधिकारियों से बात की है और उन्होंने इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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सीमा पार से भारतीय कामगारों पर पथराव की यह दूसरी घटना थी। इससे पहले ऐसी एक कथित घटना चार दिसंबर को हुई थी।

स्थानीय निवासियों ने बताया कि वे (हमलावर) चार दिसंबर को भारतीय कामगारों पर पथराव करने वाले नेपाली ‘‘बदमाशों’’ के खिलाफ भारत में दर्ज मामले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि पथराव करने वाले लोग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट) के विप्लव गुट से जुड़े हुए हैं और उनकी मंशा नदी किनारे निर्माण कार्य को बाधित करना है।

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अधिकारियों ने पहले बताया था कि नेपाली प्राधिकारी शुरू में इस आशंका के कारण सुरक्षा दीवार के निर्माण का विरोध कर रहे थे कि यह नदी के प्रवाह को नेपाल की ओर मोड़ देगा, जिससे वहां बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा। भारतीय प्राधिकारियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतने का नेपाल को आश्वासन दिया कि उसके हितों को नुकसान नहीं पहुंचे, जिसके बाद नेपाली प्राधिकारी निर्माण की अनुमति देने पर अंतत: राजी हो गए।।

घटखोला इलाके में दीवार निर्माण का काम कर रहे भारतीयों पर नेपाल के कुछ ‘‘बदमाशों’’ ने चार दिसंबर को पत्थर फेंके थे। इससे दोनों देशों के लोगों के बीच तनाव पैदा हो गया था और भारतीय व्यापारियों ने लगभग दो घंटे तक नेपाल के साथ लगती सीमा पर पुल को अवरुद्ध कर दिया था।

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घटखोला में 2013 में आई भीषण बाढ़ के बाद काली नदी के तट पर सुरक्षा दीवार बनाने की आवश्यकता पड़ी।

सिंचाई विभाग के एक इंजीनियर ने कहा, ‘‘हमने 985 मीटर की सुरक्षा दीवार में से 332 मीटर की दीवार का निर्माण पहले ही पूरा कर लिया है। यदि निर्माण शांतिपूर्वक जारी रहता है, तो हम अगले मॉनसून की शुरुआत से पहले शेष दीवार का निर्माण कर लेंगे।’’

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