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अब उत्तराखंड में बड़ी संख्या में गैर कानूनी मजारें बनाकर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा है. आज अगर आप उत्तराखंड में जाएंगे तो दोनों तरफ सड़क के किनारे आपको बड़ी संख्या में मजारें नजर आएंगी. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर सरकारी जमीन पर इतनी मजारें बन कैसे गईं

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देवभूमि उत्तराखंड अपने खूबसूरत पहाड़ों, मौसम और नजारों के लिए मशहूर है. लेकिन आज का उत्तराखंड थोड़ा बदल गया है. अब उत्तराखंड में बड़ी संख्या में गैर कानूनी मजारें बनाकर सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण किया जा रहा है. आज अगर आप उत्तराखंड में जाएंगे तो दोनों तरफ सड़क के किनारे आपको बड़ी संख्या में मजारें नजर आएंगी. इस नए तरह के अतिक्रमण को समझने के लिए पहले आपको ये जानना होगा कि एक मस्जिद और एक मजार में क्या अंतर होता है?

मस्जिद का मतलब उस प्रार्थनास्थल से है, जहां मुसलमानों द्वारा इबादत की जाती है. जबकि मजार का अर्थ, उस स्थान से है, जहां किसी व्यक्ति की कब्र या समाधि होती है. मजार अरबी भाषा का एक शब्द है, जिसमें जा-र का मतलब होता है ‘किसी से मिलने के लिए जाना.’ आसान भाषा में समझा जाए तो मजार किसी सूफी संत या पीर बाबा की उस कब्र को कहते हैं, जहां लोग जियारत करने के लिए आते हैं. जियारत का मतलब होता है, उक्त जगह या समाधि के दर्शन करने आना.

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मजारों को गिराने का काम जारी

उत्तराखंड में अब तक ऐसी एक हजार से ज्यादा मजारों को चिन्हित किया जा चुका है, जो वन विभाग या सरकार की दूसरी जमीनों पर अवैध कब्जा करके बनाई गई हैं और इनमें से अब तक 102 मजारों को सरकार द्वारा ध्वस्त किया भी जा चुका है.

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आपको बता दें कि जब इन मजारों पर बुलडोजर चलाया गया तो वहां इन मजारों की जांच की गई. इस जांच में पता चला कि इन मजारों में जो कब्र बनी हुई हैं, उनमें से कई में मृत व्यक्ति के अवशेष ही नहीं हैं. यानी कब्र है और उस कब्र की एक मजार भी बनी हुई है. लेकिन उस कब्र में मानव अवशेष नहीं है इसका सीधा मतलब ये है कि, इन अवैध मजारों का निर्माण दो मकसद से किया गया है.

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पहला मकसद है– सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण करना

और दूसरा– समाज के धार्मिक ढांचे पर भी अतिक्रमण कर लेना.

मजार की आड़ में कुछ अलग है योजना

उत्तराखंड में अब तक सिर्फ कुछ ही अवैध मजारों पर कार्रवाई हुई है और उसमें भी अब ये बात पता चल रही है कि इन मजारों में कोई कब्र नहीं थी. लेकिन सोच कर देखिए कि अगर पूरे देश में इसकी जांच हुई तो क्या होगा? आजतक की टीम ने धर्म की आड़ में चलाए जा रहे इस अतिक्रमण प्लान को समझने के लिए उत्तराखंड में ग्राउंड जीरो पर जाकर तफ्तीश की. इस दौरान आजतक की टीम सबसे पहले नैनीताल जिले में पहुंची. नैनीताल में एक तहसील है, जिसे रामनगर कहते हैं. ये वही तहसील है, जहां Jim Corbett National Park और एक टाइगर रिजर्व एरिया है, जिसके बारे में आपने जरूर सुना होगा.

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वन विभाग की जमीन पर बनाई गईं मजारें

यहां के जंगलों की जमीन उत्तराखंड के वन विभाग के अंतर्गत आती है और कानून कहता है कि यहां जंगलों के किसी भी क्षेत्र में कोई धार्मिक स्थल नहीं बनाया जा सकता और ना ही किसी तरह का कोई अतिक्रमण हो सकता है. लेकिन जब हमारी टीम रामनगर के इसी टाइगर रिजर्व एरिया में पहुंची तो हमें ये पता चला कि इस क्षेत्र में एक दो नहीं बल्कि कई मजारें बनी हुई हैं और इनमें कुछ मजारें तो ऐसी हैं, जो पिछले 10 से 15 वर्षों में बनी हैं. ये मजारें देखने पर आपको काफी विशाल नजर आएंगी.

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