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हिमालयी क्षेत्र के मसूरी में बड़ा भूकंप आया तो 1054 करोड़ और नैनीताल में 1447 करोड़ का नुकसान होगा। मैदानी क्षेत्र में यह नुकसान मसूरी की तुलना में 200 करोड़ और नैनीताल की तुलना में 100 करोड़ कम होगा। यह आकलन रुड़की समेत तीन आईआईटी के भूकंप वैज्ञानिकों ने एक शोध में किया है।

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शोध के अंतर्गत तैयार किए गए साॅफ्टवेयर मॉड्यूल के जरिए हिमालयी क्षेत्र के किसी भी शहर और क्षेत्र में भूकंप से होने वाले नुकसान का आकलन किया जा सकेगा। आईआईटी रुड़की ने आने वाले 50 वर्षों बड़े और अपेक्षाकृत कम तीव्रता के भूकंप में हिमालयी क्षेत्र में होने वाले भवनों के नुकसान का आकलन किया है।

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एमएचआरडी भारत सरकार द्वारा इंप्रिंट-2 स्कीम के तहत जनवरी 2019 में ‘नेक्स्ट जेनरेशन अर्थक्वेक लॉस एस्टीमेशन टूल फॉर हिली रिजन’ नामक प्रोजेक्ट आईआईटी रुड़की, आईआईटी रोपड़, मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जयपुर और नोएडा की रिस्क मैनेजमेंट सॉल्यूशन को दिया गया था।

जनवरी 2023 में यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ। इसमें पाया गया कि मसूरी में बड़ा भूकंप आने पर भवनों को होने वाला नुकसान करीब 1054 करोड़ होगा जबकि अपेक्षाकृत कम तीव्रता के भूकंप में यह नुकसान 229.97 करोड़ होगा। अध्ययन में मैदानी और पहाड़ी इलाकों में होने वाले नुकसान के अंतर का भी आकलन किया गया है।

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इसके अनुसार मसूरी के पहाड़ी क्षेत्र के सापेक्ष मैदानी क्षेत्र में यह नुकसान बड़े भूकंप में 854 करोड़ और अपेक्षाकृत कम तीव्रता के भूकंप में यह नुकसान 159 करोड़ होगा। इसी तरह नैनीताल में बड़े भूकंप में नुकसान 1447 करोड़ और कम तीव्रता के भूकंप में 271 करोड़ का नुकसान होगा।

आईआईटी के वैैज्ञानिक प्रो. योगेंद्र सिंह ने बताया कि शोध में मसूरी और नैनीताल के भवनों पर अध्ययन किया गया है। विकसित की गई तकनीक से हिमालय के किसी भी शहर में भूकंप से होने वाले नुकसान का आसानी से आकलन किया जा सकता है।

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शोध के तहत मसूरी के 5101 और नैनीताल के 7793 भवनों का सर्वे किया गया है। मसूरी की अपेक्षा नैनीताल में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्र में भूकंप के नुकसान में ज्यादा अंतर नहीं आएगा। इसका कारण नैनीताल का वैली में बसा होना बताया गया है।

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