गुरुवार को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बनभूलपुरा में मलिक के बगीचा में नगर निगम और प्रशासन की टीम अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने पहुंची थी. टीम जैसे ही बुलडोजर लेकर आगे बढ़ी, चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया. देखते ही देखते मुस्लिम समुदाय के लोगों की भारी भीड़ जुड़ गई. सड़क से लेकर घरों की छत से पत्थर बरसने लगे.
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक के बगीचे में गुरुवार को कब्जा कर बनाए गए मदरसे और धार्मिक स्थल को तोड़ने के दौरान भारी बवाल मचा था. नगर निगम और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई से गुस्साई भीड़ ने जमकर पथराव और आगजनी की थी. मालपुरा थाने को आग के हवाले कर दिया था. उपद्रवियों ने 3 घंटे में सौ से अधिक गाड़ियां फूंक दी थी. इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए. सीएम धामी ने पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश हैं.
बताते चलें कि गुरुवार को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र बनभूलपुरा में मलिक के बगीचा में नगर निगम और प्रशासन की टीम अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने पहुंची थी. टीम जैसे ही बुलडोजर लेकर आगे बढ़ी, चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया. देखते ही देखते मुस्लिम समुदाय के लोगों की भारी भीड़ जुड़ गई. सड़क से लेकर घरों की छत से पत्थर बरसने लगे.
4:20 बजे शुरू हुआ बवाल 6:00 बजे तक पूरे क्षेत्र में पहुंच चुका था. भारी संख्या में उपद्रवी बनभूलपुरा थाने पहुंच गए. इसके बाद आगजनी कर दी. थाने के बाहर खड़े पुलिस और मीडिया कर्मियों के दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया.
उपद्रवियों ने पत्रकारों को भी निशाना बनाया. पत्रकार जान बचाकर पुलिस बल के साथ किसी तरह गलियों से निकले. इस दौरान भी पथराव हुआ. कई पत्रकारों के कैमरे तोड़ दिए गए. कई पत्रकारों को बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया जा रहा है कि 12 से अधिक पत्रकार जख्मी हुए हैं. कुछ को गंभीर चोटें आई हैं.
प्रशासन की अधूरी तैयारी पड़ गई भारी
बनभूलपुरा में हुए बवाल में पुलिस प्रशासन की आधी-अधूरी तैयारी का खामियाजा सबको भुगतना पड़ा. पिछले दिनों घटना को लेकर क्षेत्र में फैले तनाव को देखते हुए भी प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. चार दिन पहले तनाव के बावजूद अतिक्रमण हटाने को क्षेत्र में व्यापक इंतजाम तक नहीं किए गए.
जिस वक्त भीड़ हिंसक हुई, उस समय घटनास्थल पर मौजूद ज्यादातर कर्मियों ने मोटर साइकिल चलाने के समय पहने जाने वाले हेलमेट लगा रखे थे. कुछ ने सिर्फ टोपी ही लगा रखी थी. अधूरी तैयारी पर मोहर उस वक्त लगी जब कुछ कर्मियों को सिर पर टोकरे रखे देख गया. इस दौरान टीम के पास न पर्याप्त हेलमेट थे, न विंड शील्ड.
इतना ही नहीं बनभूलपूरा की घटना में प्रशासनिक, पुलिस और इंटेलिजेंस फेलियर बहुत बड़ा कारण रहा. अतिक्रमण हटाने की कारवाई दिन में अंजाम दी जाती है. मगर, प्रशासन ने देर शाम का समय चुना. अराजक तत्वों ने छतों पर पत्थर इकट्ठा कर रखे थे. पेट्रोल बम बना रखे थे और ये जानकारी पुलिस के खुफिया विभाग को बिल्कुल भी नहीं थी.
आजादी के बाद हल्द्वानी में पहली बार ऐसी घटना
हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश ने बनभूलपुरा मामले में कहा कि आजादी से लेकर आज तक शहर में कभी इस प्रकार की घटना नहीं हुई. यहां हमेशा अमन चैन और एकता का माहौल रहा है. हाई कोर्ट ने इस प्रकरण की सुनवाई की तारीख आगामी 14 फरवरी को दी थी.
फिर भी प्रशासन ने जल्दबाजी करके इस घटना को अंजाम दिया. वहां के जिम्मेदार लोगों से वार्ता होने चाहिए थी. उनका सहयोग लिया जाना चाहिए था. ये हल्द्वानी के इतिहास का काला दिन है. जिन लोगों ने आगजनी की और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
ग्राउंड पर उतरे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
सीएम ने पुलिस को दंगाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सुनियोजित तरीके से कुछ लोगों ने इतनी बड़ी घटना अंजाम दी है. मुख्यमंत्री सभी घायलों से भी मिले और बेहतर इलाज का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि जिन चिकित्सालायों में घायलों का उपचार किया जा रहा है, उनके उपचार में कोई कोताही न बरती जाए.
मुख्य सचिव और डीजीपी ने किया दौरा
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि सरकार के खिलाफ अगर कोई भी कार्यवाही होगी तो अराजकतत्वों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने स्थलीय निरीक्षण का जायजा लेते हुये जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिये आवश्यक दिशा निर्देश। उन्होंने कहा कि शहर के हालात सामान्य है दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जायेगी। उन्हांेने कहा कि शहर के हालातों से मुख्यमंत्री को अवगत कराने के पश्चात आगे की कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। उन्होंने आम जनता को क्षेत्र में शान्ति व्यवस्था के लिए सराहना की।
हाईकोर्ट ने राहत देने से कर दिया था इनकार
हाई कोर्ट ने हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र के मालिक का बगीचा में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. अवकाश कालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने याचिका कर्ता साथिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत न देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी नियत की थी.
सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि यह भूमि कमिश्नर की अनुमति के बिना कई बार हस्तांतरित की गई. जबकि यासीन मलिक को यह भूमि कृषि उपयोग के लिए दी गई थी. शर्त थी कि इसमें किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जाएगा. यह भूमि हस्तांतरित नहीं हो सकती. फिर भी बिक्री कर दी गई, जो नियम विरुद्ध है.
याचिका कर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है. सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती. नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में मदरसे को अवैध बताते हुए स्वयं ध्वस्त करने को कहा गया था.