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विश्व प्रसिद गर्जिया देवी मंदिर सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है. दरअसल इस मंदिर के टीले में दरारें आ गई हैं. जिससे पहाड़ी को खतरा बना हुआ है. ऐसे में पुजारी से लेकर स्थानीय लोगों ने सरकार से मंदिर की मरम्मत का कार्य जल्द करने का आग्रह किया है.

विश्व प्रसिद्ध गर्जिया देवी मंदिर के टीले में दरारें आ गई हैं, जो कि निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं. जिसको लेकर मंदिर के पुजारियों, प्रसाद विक्रेता, स्थानीय लोगों ने दरारें रोकने के लिए सरकार से तुरंत कार्य करने की अपील की है. गर्जिया देवी मंदिर के टीले की दरारों को सालों बाद भी नहीं भरा गया है और ना ही इसे लेकर अब तक कोई कदम उठाया गया है. जिसके कारण बरसात के समय गर्जिया देवी मंदिर के लिए खतरा बना हुआ है.

कोसी नदी के बीचों -बीच एक टीले पर स्थित है गर्जिया देवी मंदिर : गर्जिया देवी मंदिर नैनीताल के रामनगर में कोसी नदी के बीचों -बीच एक टीले(पहाड़ी नुमा) पर स्थित है. यह मंदिर कई सौ वर्ष पुराना है. इस मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर गिरिराज की पुत्री गिरजा देवी का है, जिन्हें मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी किया गया है. कई सौ वर्ष पूर्व यह मंदिर कोसी नदी में बह कर आया था और बाबा भैरवनाथ ने गिरजा देवी से आवाहन किया था कि वह यहां ठहरे. जिसके बाद यह मंदिर यही स्थापित हो गया. यहां के स्थानीय लोग इनको अपनी कुलदेवी भी मानते हैं. यहां देश के कई बड़े-बड़े नेता अपना शीश नवाने आते हैं, लेकिन आज यह मंदिर सरकार की उदासीनता के चलते अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोता जा रहा है.

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टीले में पड़ी दरारों से पहाड़ी को खतरा: 

मंदिर के टीले में अब बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं और पहाड़ी को खतरा बढ़ता जा रहा है. यह पहाड़ी कभी भी दरक कर गिर सकता है. स्थानीय लोग इसे बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में मंदिरों के लिए चलने वाली वर्णमाला योजना में भी गर्जिया देवी मंदिर को शामिल किया है, लेकिन उसके बावजूद इसे बचाने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. अब यह मंदिर बारिश में ना भीगे, इसके लिए इस मंदिर को चारों ओर से तिरपाल से ढंक दिया गया है.

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श्रद्धालुओं की श्रद्धा पर होगा प्रहार: 

श्रद्धालुओं का मानना है कि अगर मंदिर को कुछ भी होता है, तो सीधे तौर पर उनकी श्रद्धा पर प्रहार होगा. इस ऐतिहासिक मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और यहां केवल उत्तराखंड के ही नहीं पूरे देश के श्रद्धालु आते हैं. एक तफ सरकार मंदिरों के जीर्णोद्धार की बात करती है, तो दूसरी ओर यह मंदिर धीरे-धीरे टूट रहा है और उस ओर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है.

टीले में बाढ़ से आई दरार का सरकार ने लिया था संज्ञान: 

बता दें कि गर्जिया मंदिर की टीले में बाढ़ से आई दरार का सरकार ने संज्ञान लिया था. उस वक्त पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने फरवरी 2021 में टीले का कार्य कराने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इस ओर कोई काम नहीं किया गया है. 2010 में आई बाढ़ से गर्जिया देवी मंदिर के टीले में हल्की दरार आई थी. जिसके बाद 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रामनगर का दौरा किया था.

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विधायक ने जल्द कार्य शुरू करने की कही बात: 

मंदिर के पुजारी जितेंद्र पांडे ने कहा कि कई नेताओं ने इसकी घोषणाएं की, मगर अभी तक धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ है. वहीं, क्षेत्रीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने मंदिर के टीले में आई दरार पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार इसको लेकर चिंतित है और जल्द ही इसका कार्य शुरू होगा.

बजट आवंटित होते ही शुरू होगा कार्य: 

सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जगत नारायण सिंह ने बताया कि गर्जिया देवी मंदिर का टीला एक नाजुक प्वाइंट पर पहुंच चुका है. 2021 अक्टूबर में आई बाढ़ की वजह से टीले में काफी दरार आई है. 2021 अक्टूबर में आई बाढ़ की वजह से जो ब्लॉक हमारे द्वारा पूर्व में बनाए गए थे, वह भी पूरी तरह डैमेज हो गए हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में इसके लिए एक योजना बनाई गई है. जिसमें वर्तमान दर के हिसाब से 9करोड़ 23 लाख की लागत आएगी. बजट आवंटित होते ही गर्जिया देवी मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

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