पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिनोंदिन खराब होते चल जा रहे हैं. वहां के लोगों में दो वक्त की रोटी के लिए भी मारामारी चल रही है फिर भी सरकार सेना पर जमकर खर्च कर रही है. सिर्फ छह महीनों में सरकार ने ब्याज और रक्षा पर कितने रुपये खर्च कर दिए.
जो हाल आपने जून जुलाई के महीने में श्री लंका के देखे थे, ठीक उसी तरह के दौर में पाकिस्तान भी जा चुका है. वहां के लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए भी कई तरह की जुगाड़ लगानी पड़ रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस तरह चौपट क्यों हो रही है? आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान ने छह महीनों में सिर्फ ब्याज पर 2.67 ट्रिलियन रुपये खर्च कर दिए है. ये राशि बजट का लगभग 65 फीसदी है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार हर विभाग के खर्च में कमी कर चुकी है, लेकिन रक्षा विभाग के खर्च में अभी भी कमी नहीं आई है. आज पाकिस्तान के हालात ऐसे क्यों हैं. ये रही वजह.
छह महीने में खर्च कर दिए 638 अरब रुपये
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पाकिस्तान ने सेना की पेंशन और सशस्त्र बलों के विकास पर होने वाले कार्यक्रम के खर्च के अलावा छह महीने में डिफेंस सिस्टम पर 638 अरब रुपये खर्च कर दिए हैं. पिछले साल की तुलना में ये खर्च 118 अरब रुपये ज्यादा है यानी लगभग 23 फीसदी. पाकिस्तान ने रक्षा बजट पर 1.563 ट्रिलियन रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी.
सेना का खर्च क्यों नहीं हो रहा कम
पाकिस्तान सरकार की मजबूरी है कि वह सेना का बजट कम नहीं कर सकता है. वहां की सरकार पर ऐसे आरोप बहुत पहले से लगते आ रहे हैं कि वहां की सरकार को सेना ही चलाती है.आपको जानकर हैरानी होगी, वहां की सेना अदर सोर्स से भी कमाई करती है. इसके लिए वह बकायदा कई तरह के बिजनेस भी करती है. वहां का इतिहास गवाह रहा है कि पाकिस्तान में प्रशासन की तुलना में सेना काफी ताकतवर है. वहां सेना हमेशा से किंगमेकर की भूमिका निभाती आई है.
बाकी विभाग का खर्चा पानी हुआ कम
लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार ने सेना के खर्च को छोड़ सभी विभागों में 15 फीसदी की कमी कर दी है. सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर आई है कि विकास खर्च में लगभग 50 फीसदी की कटौती की जा चुकी है. वहां की सरकार पर दिनोंदिन कर्ज का जाल बढ़ता जा रहा है. पिछले साल की तुलना में इस साल ब्याज भुगतान में 77% की बढ़ोतरी हुई है. इस साल पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने लगभग 2.57 ट्रिलियन रुपये ब्याज पर खर्च किए हैं. चालु वित्त वर्ष में सरकार ने ब्याज भुगतान के लिए 3.95 ट्रिलियन रुपये का बजट रखा था, लेकिन इस बजट का 65 फीसदी सिर्फ छह महीनों में ही खर्च कर दिया है.