उस रात सौम्या जिस वक्त नेल्सन मंडेला मार्ग से गुजर रही थी तभी सुनसान सड़क पर एक वेगन-आर भी वहां से जा रही थी. वेगन-आर में रवि कपूर और उसके तीन साथी सवार थे. सभी नशे में धुत्त थे. ठीक तभी रवि को सौम्या की कार दिखाई दी और उसके मन में लूट का विचार आया.
बात आज से ठीक 15 साल पहले की है. तब आज का इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल हेडलाइंस टुडे हुआ करता था. उसी हेडलाइंस टुडे में एक होनहार पत्रकार काम किया करती थीं. नाम था सौम्या विश्वनाथन. उस रात सौम्या दफ्तर से अपने घर जा रही थीं. तभी अचानक उनका कत्ल कर दिया गया. अब 15 साल बाद दिल्ली की एक अदालत ने सौम्या मर्डर केस में फैसला सुनाया है. चारों आरोपी दोषी करार दिए गए. अब उनकी सजा पर फैसला होना बाकी है. ऐसे में देखने वाली बात ये है कि कातिलों को फांसी मिलेगी या उम्रकैद. आइए जान लेते हैं उसी सौम्या मर्डर केस की पूरी कहानी.
30 सितंबर 2008
उस रात महाराष्ट्र और गुजरात धमाके से जुड़ी खबरें तैयार करने के बाद सौम्या घर जाने से पहले अपना आई कार्ड पंच करती है. तब घड़ी में वक्त हुआ था तीन बज कर दो मिनट. इसके बाद वो चौथी मंजिल से लिफ्ट पकड़ कर ग्राउंड फ्लोर पर उतरती है. ग्राउंड फ्लोर पर उतरने के बाद वो सीधे बाहर जाने के लिए मेन गेट की तरफ बढ़ती है. पर मेन गेट से कुछ कदम पहले अचानक कॉफी शॉप पर खड़ा एक लड़का सौम्या को आवाज देता है. वो पलटती है और फिर गेट की तरफ जाने की बजाए कॉफी शॉप की तरफ मुड़ जाती है. वहां वो पर्स से पैसे निकालती है और उस लड़के को देती है.
कॉफी शॉप पर किया था पेमेंट
उस रात कॉफी शॉप पर नरेश नाम का लड़का ड्यूटी पर था. नरेश के मुताबिक रात करीब बारह बजे सौम्या ने कॉफी शॉप से कॉफी ली थी. पर उस वक्त उसके पास चेंज नहीं था इसलिए उसने पैसे नहीं दिए थे. घर जाते वक्त वो उसी कॉफी के बीस रुपए देने के लिए वहां रुकी थी. नरेश को बीस रुपए देने के बाद वो मेन गेट से बाहर निकलती है और पार्किंग की तरफ बढ़ जाती है.
मारुति जेन कार से निकली थी सौम्या
पार्किंग में उसकी सफेद जेन कार खड़ी थी. वो कार स्टार्ट करती है और फिर निकल पड़ती है. तब घड़ी में वक्त हुआ था तीन बज कर नौ मिनट. मगर कुछ कदम चलने के बाद ही वो कार रोक देती है. फिर कार से नीचे उतर कर कार की विंड स्क्रीन साफ करने लगती है. स्क्रीन साफ करने के बाद वो दोबारा कार में बैठती है और फिर पार्किंग से निकल जाती है.
पार्किंग के CCTV में कैद थी सौम्या की तस्वीरें
सीसीटीवी कैमरे में कैद सौम्या की आखिरी तस्वीर वहीं की थी. दफ्तर से उतर कर कार में बैठने तक तस्वीर से साफ पता चलता है कि वो घर के लिए अकेली निकली थी. उसके साथ कोई नहीं था. सौम्या के जाने के बाद उसी सीसीटीवी फुटेज से ये भी पता चलता है कि जेन के निकलने के अगले दस मिनट बाद तक कोई दूसरी कार पार्किंग से नहीं निकली. यानी दफ्तर से किसी और किसी कार ने उसका पीछा नहीं किया.
वसंत कुंज पहुंचने में लगता था आधा घंटा
वैसे अगर पार्किंग के बाहर से किसी ने सौम्या का पीछा किया हो तो नहीं कहा जा सकता. क्योंकि कैमरा सिर्फ पार्किंग के अंदर की ही चीजों को कवर कर रहा था. अपनी सफेद रंग की जेन कार में झंडेवालान से वसंत कुंज तक पहुंचने में सौम्या को करीब आधे घंटे का वक्त लगता है. और इस आधे घंटे के अंदर ही सब कुछ खत्म हो जाता है.
सौम्या के सिर से बह रहा था खून
वसंत कुंज में नेल्सन मंडेला मार्ग पर तड़के करीब तीन बज कर चालीस मिनट पर सौम्या की कार बीच सड़क पर डिवाइडर के ऊपर चढ़ी हुई पलटी हुई हालत में मिलती है. सौम्या ड्राइवर सीट पर लुढ़की हुई थी और उसके सिर के पिछले हिस्से से बेतहाशा खून बह रहा था. ड्राइवर वाली सीट के साइड का शीशा पूरी तरह चकनाचूर था जबकि बाकी की तीनों खिड़कियां और विंड स्क्रीन सही-सलामत थे. कार के अगले हिस्से का दहिना पहिया पंक्चर था जबकि उसका रिम बुरी तरह टेढ़ा हो चुका था.
पोस्टमॉर्टम से बदल गई पूरी कहानी
कार को इस तरह डिवाइडर पर पड़ी देख एक राहगीर पुलिस को फोन करता है जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंच कर सौम्या को सीधे एम्स ट्रामा सेंटर ले जाती है. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सौम्या दम तोड़ चुकी थी. पहली नजर में हरेक को यही लगा कि सौम्या की मौत सड़क हादसे में सिर पर गहरी चोट लगने की वजह से हुई है. लेकिन दिन निकलने के बाद जब लाश का पोस्टिमार्टम होता है तो अचानक पूरी कहानी बदल जाती है.
सौम्या के सिर में लगी थी गोली
सौम्या के सिर में गोली लगी थी. गोली सौम्या के सिर के पिछले हिस्से से बाहर निकलती है. वही गोली जिसने उसकी जान ली. यानी सौम्या की मौत हादसा नहीं बल्कि हत्या थी. सौम्या के सिर से .315 बोर की गोली निकली थी. यानी अब ये साफ था कि सौम्या का क़त्ल किया गया है. पर सौम्या का कत्ल किसने किया? कौन है उसका कातिल? क्यों मारा उसने सौम्या को? क्या ये कत्ल एक हादसा था, अचानक हुई झड़प का नतीजा, रोड रेज या फिर कोई गहरी साजिश?
6 माह बाद मिला जवाब
30 सितंबर 2008 को तड़के दफ्तर से निकलने के बाद नेल्सन मंडेला मार्ग पर आखिर ऐसा क्या हुआ कि सौम्या की जान चली गई? अगर मकसद सिर्फ लूटपाट ही था तो उसे सर पर गोली क्यों मारी गई? यही वो सवाल हैं जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता था. और आखिरकार सौम्या के कत्ल के छह महीने बाद मार्च 2009 में इसका जवाब मिल गया. और ये जवाब मिला एक दूसरे कत्ल से.
अगवा कर जिगिशा का कत्ल
दरअसल, दिल्ली के उसी इलााके में सौम्या के कत्ल के छह महीने बाद 18 मार्च 2009 को एक और कत्ल होता है. इस बार कत्ल जिगिशा घोष नाम की एक लड़की का हुआ था. जिगिशा को भी गोली मारी गई थी. कत्ल के दोनों ही मामलों में कई बातें शुरूआत से ही एक जैसी थीं. मिसाल के तौर पर सौम्या और जिगीशा दोनों के कत्ल रात के आखिरी पहर में हुआ. दोनों साउथ दिल्ली के एक ही इलाके वसंत कुंज की रहने वाली थीं. बस फर्क इतना था कि सौम्या को सड़क पर गाड़ी चलाते वक्त गोली मारी गई, जबकि जिगीशा को वसंत कुंज में उसके घर के बाहर गाड़ी से उतरते ही अगवा करने के बाद.
एटीएम और डेबिट कार्ड से मिला सुराग
पुलिस को पहला सुराग मिला जिगीशा के सामान से गायब एटीएम और क्रेडिट कार्ड्स के जरिये. पुलिस ने जब ये कार्ड ट्रैक किये तो मालूम हुआ कि 18 मार्च की सुबह यानी जिगीशा के गायब होने के फौरन बाद उसका एटीएम कार्ड इस्तेमाल कर दो किश्तों में कुल पच्चीस हजार रुपये निकाले गये हैं. इसके बाद 18 मार्च की दोपहर जिगीशा का क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर साउथ दिल्ली की कुछ दुकानों से सत्तर हजार रुपये की खरीददारी की गई थी. जिनमें महंगे धूप के चश्मे, कलाई घड़ियां और जूते शामिल थे. पुलिस इन्हीं सुरागों के जरिये पहले आरोपियों की सीसीटीवी फुटेज और फिर उन तक पहुंच गई.
जिगिशा के कातिलों ने खोला सौम्या के कत्ल का राज
पकड़ में आए चारों आरोपी रवि कपूर, बलजीत, अमित और अजय ने जिगीशा के कत्ल का जुर्म कुबूल लिया और वो गाड़ी भी बरामद करा दी, जिसका इस्तेमाल जिगीशा के अपहरण में किया गया था. लेकिन पुलिस को इन आरोपियों से अभी और खुलासों की उम्मीद थी. चूंकि ये सभी साउथ दिल्ली के रहने वाले थे. लिहाजा पुलिस ने इनसे बीते दिनों हुई दूसरी वारदातों पर भी पूछताछ शुरू की. और तभी पुलिस को वो सुराग मिल गया जिसकी पुलिस को जरा भी उम्मीद नहीं थी. आरोपियों ने छह महीने पहले हुए सौम्या विश्वनाथन के कत्ल की बात भी कुबूल कर ली. फिर कातिलों ने सौम्या के कत्ल की पूरी कहानी पुलिस को सुनाई.
वेगन-आर में सवार थे चारों कातिल
सौम्या जिस वक्त नेल्सन मंडेला मार्ग से गुजर रही थी तभी सुनसान सड़क पर एक वेगन-आर भी वहां से जा रही थी. वेगन-आर में रवि कपूर और उसके तीन साथी सवार थे. सभी नशे में धुत्त थे. ये चारों पीवीआर प्रिया के पास से शराब पीकर लौट रहे थे. ठीक तभी रवि को सौम्या की कार दिखाई दी. सौम्या को अकेला जाते देख रवि कपूर ने अपने साथियों से कहा कि चलो इसको लूटते हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी कार सौम्या की कार के बराबर दौड़ानी शुरू कर दी. इसपर सौम्या ने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी.
सौम्या का पीछा कर रही थी आरोपियों की कार
सौम्या के आगे निकल जाने पर रवि को अचानक गुस्सा आ गया. उसने अपने साथियों से भी स्पीड बढ़ाने को कहा और फिर सौम्या के बराबर पहुंच कर उसे रुकने की धमकी दी. लेकिन सौम्या ने गाड़ी नहीं रोकी. बस इसी बात पर रवि के साथियों ने सौम्या की मारुति ज़ैन को ओवर टेक किया और अपनी वेगन-आर को बिल्कुल सौम्या की गाड़ी के पास ले आए.
रवि ने कट्टे से सौम्या पर चलाई थी गोली
गाड़ी नजदीक लाने के बाद रवि ने अपने साथियों से कहा कि वो उसका निशाना देखें. दरअसल रवि वारदात से कुछ दिन पहले ही 315 बोर का नया कट्टा खरीद कर लाया था. इसके बाद अपने साथियों को अपना निशाना दिखाने के लिये रवि ने सौम्या की तरफ कट्टा तान दिया. बदकिस्मती से गोली सीधे सौम्या के सिर के पिछले हिस्से में जा लगी. गोली लगते ही सौम्या की गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और कार जाकर डिवाइडर से टकरा गई.
सौम्या को खून से लथपथ देख भागे थे आरोपी
पर दूसरी तरफ गोली मारने के बाद भी हत्यारे भागे नहीं. बल्कि आगे से यू-टर्न लेकर वापस आए और फिर सौम्या की गाड़ी के पास अपनी कार रोकी. लेकिन जब उन्होंने देखा कि उसके सिर से खून बह रहा है और वो होश में नहीं है तो वो घबरा गए और फिर वहां से सीधे सरिता विहार की तरफ भाग निकले. बाद में कातिलों के पकड़े जाने पर पुलिस ने सौम्या के कत्ल में इस्तेमाल किया गया 315 बोर का कट्टा और कट्टे से चली गोली के खोखे भी बरामद कर लिए थे.
पुलिस का मुखबिर था रवि कपूर
सौम्या के जिन कातिलों ने दिल्ली पुलिस को पूरे छह महीने तक छकाए रखा था, उनमें से एक रवि कपूर तो दिल्ली पुलिस का ही एक मुखबिर निकला. एक ऐसा मुखबिर जिसकी पहली मुलाकात पुलिस से तब हुई थी, जब उसने पहला जुर्म किया था. इसके बाद जुर्म के रास्ते पर चलते हुए वो कई बार पुलिस के हाथ आया और फिर पुलिस से उसकी नजदीकियां इतनी बढ़ गईं कि वो अंधेरे में जुर्म करने लगा और उजाले में मुखबिरी.
पुलिस के साथ घूम रहा था कातिल रवि
कमाल देखिए कि रात को अपने हाथों से सौम्या का कत्ल करने वाला यही मुखबिर दिन में कई दिनों तक पुलिस के कहने पर उसी सौम्या के कातिल को ढूंढने का ड्रामा भी करता रहा. यहां तक कि कत्ल के अगले दिन वो पुलिस के साथ एम्स के उस ट्रामा सेंटर में भी गया था, जहां सौम्या की लाश रखी थी. अब 15 साल बाद उसी सैम्या मर्डर केस में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है.
26 अक्टूबर को होगा सजा का ऐलान
अदालत ने सौम्या के कत्ल के लिए रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत सिंह मलिक और अजय कुमार को दोषी ठहराया है. इसके लिए एक पांचवे आरोपी अजय सेठी को मकोका के तहत दोषी ठहराया गया है. अब पांचों की सज़ा का ऐलान 26 अक्टूबर को होगा.