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राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनर की सरेआम हत्या की वारदा को अंजाम देने वाले शूटर पुलिस की गिरफ्त से 15 दिन बाद भी बाहर हैं. वहीं बताया जा रहा है कि इस हत्याकांड की पटकथा अतीक ने जानबूझकर ऐसी लिखी ताकि उसके तीसरे बेटे असद की अपराध की काली दुनिया में ताजपोशी की जा सके.

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प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने वाले शूटर 15 दिन बाद भी उत्तर प्रदेश पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं. पुलिस की टीमें 5 राज्य और 13 शहरों में खाक छान रही हैं, लेकिन शूटरों का पता नहीं चल रहा है. वहीं दूसरी तरफ इस हत्याकांड को अंजाम देने के तरीके से माना जा रहा है कि अतीक अहमद ने अपने अपराध के साम्राज्य पर असद की ताजपोशी कर दी है. बताया जा रहा है कि इस वारदात को दिनदहाड़े इसीलिए अंजाम दिलवाया गया, ताकि लोग समझ सकें कि अब अतीक गैंग में उसके बाद किसका फरमान चलेगा.

उमेश पाल की हत्या को अंजाम देने के लिए शूटरों ने वक्त, जगह और तरीका ऐसा चुना ताकि दहशत फैले. जिस तरह से अतीक अहमद के गुर्गों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया. उसमें अतीक का तीसरा बेटा असद साफ तौर पर सामने था. असद क्रेटा कार से जैसे ही उतारता है, वह बिना अपना चेहरा छुपाए दौड़ते हुए पिस्टल को लोड कर फायरिंग शुरु करता है. इतना ही नहीं वह उमेश पाल को दौड़ाते हुए गली में घुसकर गोली मारता है. बिना यह चिंता किए कि उसका नाम आएगा तो अतीक के लिए मुश्किलें होंगी और उसको भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.

अतीक अहमद के परिवार के लिए साए की तरह घूमने वाले साबिर ने भी बिना चेहरा छुपाए कार से उतरते ही राइफल से फायरिंग शुरू कर दी. पहले पब्लिक को रोका और फिर उमेश पाल की कार में बैठे गनर संदीप निषाद को गोली मार दी. साबिर ने भी अपनी पहचान छिपाने की कोशिश नहीं की, जबकि दुनिया जानती है कि मौजूदा वक्त में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के साथ साए की तरह साबिर ही साथ रहता है.

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तीसरा किरदार बमबाज गुड्डू मुस्लिम, जिसने बाइक से उतरते ही थैले में रखे बम दागने शुरू कर दिए. गुड्डू मुस्लिम को प्रयागराज ही नहीं, लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, अयोध्या, मेरठ, गाजीपुर में तक लोग पहचानते हैं और जानते हैं कि उसने बमबाजी से ही सुपारी किलिंग की शुरुआत की. कभी धनंजय सिंह और अभय सिंह का करीबी हुआ करता था और अब लंबे समय से वो अतीक अहमद के लिए प्रयागराज में काम कर रहा है. गुड्डू मुस्लिम ने भी अपना चेहरा छिपाने की कोई कोशिश नहीं की. असद, गुड्डू मुस्लिम और साबिर यह तीन नाम ऐसे थे, जिनकी मौजूदगी ही बताने लगी कि उमेश पाल की हत्या के पीछे साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद का हाथ है.

दरअसल उमेश पाल की इस तरह से हत्या करवाकर अतीक अहमद ने एक तीर से दो शिकार किए. पहला उमेश पाल को अतीक का फरमान नहीं मानने की सजा देकर प्रयागराज और आसपास के लोगों को यह बताया गया कि अतीक की बात नहीं मानने वालों का क्या अंजाम होगा.

वहीं दूसरी तरफ उमेश पाल की हत्या को अंजाम देकर एहसास कराया गया कि हत्या में किसका हाथ है और किसने हत्याकांड को अंजाम दिया. इससे अब अतीक ने साफ संदेश दे दिया है कि उसके दो बेटे अली और उमर भले ही जेल में बंद हों, लेकिन उसका तीसरा बेटा असद अब उसके अपराध की दुनिया का वारिस है.

रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने जताई ये आशंका

प्रयागराज में लंबे समय तक तैनात रहे एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने तो यहां तक कहा कि अगर जल्द अतीक अहमद का बेटा असद और उसके साथी नहीं पकड़े गए तो प्रयागराज और आसपास के कई जिलों में व्यापारियों से रंगदारी वसूली बढ़ जाएगी. उमेश पाल का उदाहरण देकर व्यापारियों से अतीक और उसके लड़के वसूली करने लगेंगे.

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कब और कैसे हुई वारदात?

प्रयागराज में 24 फरवरी को उमेश पाल और उसके दो गनर्स की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. उमेश पाल राजूपाल हत्याकांड में गवाह थे. उमेश के गाड़ी से उतरते ही बदमाशों ने उनकी पर फायरिंग कर दी थी. इस दौरान उनकी और उनके गनर की गोली लगने से मौत हो गई. बदमाशों ने इस हत्याकांड को 44 सेकेंड में अजाम दिया.

कहां भाग गया असद?
अतीक अहमद का तीसरे नंबर का बेटा असद अभी फरार है. यूपी पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें जिस असद को खोज रही हैं, वह कहां है? इस सवाल का जवाब उमेश और दोनों सरकारी गनर के परिजनों के साथ ही यूपी की आम-अवाम भी जानना चाह रही हैं. अभी तक की जानकारी के मुताबिक, असद नेपाल भाग गया है.

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