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उमेश पाल की मौत के वक्त और बाद की कुल 4 सीसीटीवी कैमरों में कैद तस्वीरें सामने आई हैं. यूपी पुलिस का दावा है कि सीसीटीवी में कैद लगभग सभी चेहरों की उसने शिनाख्त कर ली है. बकौल यूपी पुलिस इनमें से एक मोहम्मद गुलाम था, जिसने सबसे पहले उमेश पर गोली चलाई थी.

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प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद सियासी गलियारों में भी माहौल गर्म है. सीएम योगी ने विधानसभा में कहा कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे. जैसा मुख्यमंत्री ने कहा, वैसा उनकी पुलिस ने करना शुरू कर दिया है. पहला एनकाउंटर हो चुका है. इस एनकाउंटर में मारे जानेवाले का नाम है अरबाज. यूपी पुलिस के मुताबिक, जिस क्रेटा कार में शूटर सवार थे, अरबाज उस कार को चला रहा था. गोली और बमों से उमेश पाल की जान लेनेवाले बाकी शूटरों का क्या होगा? क्या वो जिंदा पकडे जाएंगे या फिर जितनी चाभी भरी गई है, खिलौना उतनी ही देर चलेगा?

यूपी पुलिस ने किया बड़ा दावा

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उमेश पाल की मौत के वक्त और बाद की कुल 4 सीसीटीवी कैमरों में कैद तस्वीरें सामने आई हैं. यूपी पुलिस का दावा है कि सीसीटीवी में कैद लगभग सभी चेहरों की उसने शिनाख्त कर ली है. बकौल यूपी पुलिस इनमें से एक अतीक अहमद का बेटा असद हो सकता है. हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है. दूसरा अतीक की पत्नी शाइस्ता का पूर्व ड्राइवर साबिर है. जबकि तीसरा गुड्डू मुस्लिम है, जो बरसों से अतीक के लिए काम करता रहा है. उसका करीबी माना जाता है.

राजू पाल हत्याकांड का गवाह था उमेश

उमेश पाल हत्याकांड की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो दिल दहलाने वाली हैं. यूपी पुलिस का कहना है कि इस बारे में शक की अब कोई गुंजाइश नहीं है कि उमेश पाल की हत्या के पीछे अतीक अहमद और उसके लोगों का ही हाथ है और ये हत्या इसलिए की गई क्योंकि उमेश पाल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड का गवाह था.

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सीएम को लिखा खत

हालांकि दूसरी तरफ अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता ने मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लिखा है. इस पत्र में शाइस्ता का कहना है कि उमेश पाल राजू पाल मर्डर केस में कभी गवाह रहा ही नहीं. वो किडनैपिंग के एक दूसरे केस में वादी था. जिसकी गवाही भी 2016 में पूरी हो गई. ऐसे में उससे कोई दुश्मनी का मतलब नहीं था. अतीक अहमद की बीवी शाइस्ता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अतीक और उनके बेटों की जान खतरा बताते हुए इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है.

यूं हुआ दुश्मनी का आगाज़

अब आइए, उमेश पाल की पूरी कहानी समझते हैं. और उसे समझने के लिए 2004 में लौटते हैं. तब इलाहाबाद पश्चिम विधान सभा सीट से विधायक अतीक अहमद फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे. उस चुनाव में अतीक अहमद जीत हासिल कर सांसद बन गए. ऐसे में उन्हें विधायक की सीट खाली करनी थी. कुछ दिनों बाद हुए उप चुनाव में खाली सीट पर सपा ने अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को चुनावी मैदान में उतार दिया. जबकि बसपा ने अशरफ के सामने राजू पाल को खड़ा किया. इस चुनाव में राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया. कहते हैं बस यहीं से राजू पाल और अतीक की दुश्मनी शुरू हुई.

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25 जनवरी 2005

उस वक्त दोपहर के करीब 3 बजे थे. राजू पाल इलाके के एक अस्पताल के मुर्दाघर से अपने घर लौट रहे थे. दो गाड़ियों का काफिला था. तभी अचानक दोनों गाडियों को घेर कर हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी. इस शूटआउट में विधायक राजू पाल उनके करीब देवी पाल और संदीप पाल तीन लोगों की मौत हो गई. बाद में इस हत्याकांड को लेकर पूरे इलाके में जबरदस्त तनाव था. यहां तक कि पुलिस चौकी भी जला दी गई. पुलिसवालों पर हमले हुए. शहर का पूरा यातायात जाम कर दिया गया.

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