देहरादून। उत्तराखंड के राजस्व प्रबंधन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1901 (उत्तर प्रदेश अधिनियम संख्या 3, वर्ष 1901) जो उत्तराखंड राज्य में भी यथावत लागू है, की धारा 48 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए अधिसूचना जारी की है।
इस अधिसूचना में साफ किया गया है कि गजट में प्रकाशन की तिथि से इसकी वैधानिकता लागू होगी। अधिसूचना के मुताबिक, इसकी अनुसूची में उल्लिखित ग्रामों को अब सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रियाओं (Survey and Record Operations) के अधीन लाया जाएगा।
क्या है अधिसूचना की अहम बातें
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राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में सूचीबद्ध गांवों में भूमि सर्वेक्षण और अभिलेख सुधार कार्य होंगे।
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इस प्रक्रिया से जमीनों से संबंधित रिकार्ड को अद्यतन (Update) किया जाएगा।
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राजस्व टीम इन गांवों में जाकर रिकॉर्ड सत्यापन, सीमांकन और आवश्यक सुधारात्मक कार्य करेगी।
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अधिसूचना लागू होने की तारीख से कार्य प्रारंभ किया जाएगा और संबंधित गांव सीधे राजस्व सर्वेक्षण की परिधि में आ जाएंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?
जानकारों का कहना है कि राज्यपाल द्वारा धारा 48 के तहत की गई यह अधिसूचना ग्रामीण और राजस्व व्यवस्था को और व्यवस्थित व पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम है।
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इससे भूमि मालिकों को अपने अधिकारों और रिकार्ड में पारदर्शिता मिलेगी।
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भू-राजस्व से जुड़े विवादों और भ्रम की स्थिति में कमी आएगी।
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सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों में भूमि संबंधी अड़चनों को सुलझाने में आसानी होगी।
राजस्व विभाग की अपील
राजस्व विभाग ने प्रभावित गांवों के निवासियों से अपील की है कि वे सर्वेक्षण और अभिलेख सुधार कार्य में सहयोग करें ताकि समय पर रिकॉर्ड को ठीक किया जा सके और भविष्य में किसी तरह का विवाद उत्पन्न न हो।





